सरकारी कर्मचारी होना बलात्कार मामले में जमानत का आधार नहीं: कर्नाटक हाईकोर्ट

LiveLaw News Network

28 Jan 2022 1:16 PM GMT

  • हाईकोर्ट ऑफ कर्नाटक

    कर्नाटक हाईकोर्ट

    कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ सरकारी कर्मचारी होने के आधार पर बलात्कार के आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती।

    जस्टिस एचपी संदेश ने श्रीनिवास मूर्ति एच.एन. द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा,

    "तथ्य यह है कि याचिकाकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है, उसे जमानत पर बरी करने का आधार नहीं है, जब याचिकाकर्ता के खिलाफ बलात्कार के गंभीर अपराध का आरोप लगाया गया है।"

    अभियोजन पक्ष के अनुसार, याचिकाकर्ता ने 14.09.2021 को पीड़ित लड़की को अपने होम स्टे में ले लिया और उसकी इच्छा के विरुद्ध यौन संबंध बनाए। जबकि उसकी शादी पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति के साथ हो चुकी थी। उक्त कृत्य को करने के बाद उसने वादा किया कि वह उससे शादी करेगा और किसी को भी इस बारे में कुछ नहीं कहेगा। साथ ही उसने उसे धमकी दी कि अगर उसने परिवार के सदस्यों को इस बारे में बताया तो वह उसकी जान ले लेगा।

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता केम्पाराजू ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता केपीटीसीएल में सहायक कार्यकारी अभियंता के रूप में कार्यरत है। उसके खिलाफ एक झूठा मामला दर्ज किया गया है, क्योंकि वह एक सरकारी कर्मचारी है। इसके अलावा, शिकायत दर्ज करने में डेढ़ महीने की देरी है और याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं बनता है। वह 14.11.2021 से हिरासत में है।

    अभियोजन पक्ष ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि पीड़ित लड़की ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत अपने बयान में स्पष्ट रूप से खुलासा किया कि उसके साथ जबरन यौन शोषण किया गया और जान का खतरा भी था। चिकित्सा साक्ष्य भी स्पष्ट है कि उसके यौन कृत्य हुआ है इसलिए, याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला है।

    अभियोजन पक्ष द्वारा एकत्र किए गए रिकॉर्ड और सबूतों को देखने पर अदालत ने कहा,

    "पीड़ित लड़की के बयान से यह देखा गया कि उसने कहा है कि उसने अपनी इच्छा के विरुद्ध यौन कार्य किया और जान से मारने की धमकी भी दी।। उसने यह भी कहा है कि उसकी शादी पहले से ही अन्य व्यक्ति के साथ हुई थी और इसलिए, बाद में उसने वादा किया था कि वह शादी करेगा और जान से मारने की धमकी भी दी।"

    इसमें कहा गया,

    "इसके अलावा, चिकित्सा साक्ष्य भी स्पष्ट है कि हाइमन फट गया था और डॉक्टर की राय भी स्पष्ट है कि, उसे यौन कृत्य के अधीन किया गया। जब ऐसी सामग्री उपलब्ध हो रिकॉर्ड पर यह तथ्य कि याचिकाकर्ता एक सरकारी कर्मचारी है, उसे ज़मानत देने का आधार नहीं है।"

    अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा,

    "प्रथम दृष्टया मेडिकल एविडेंस (चिकित्सा साक्ष्य )साथ ही सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान यह खुलासा करते हैं कि पीड़िता का यौन शोषण किया गया।"

    केस शीर्षक: श्रीनिवास मूर्ति एच.एन. और कर्नाटक राज्य

    केस नंबर: आपराधिक याचिका संख्या 9831/2021

    उपस्थिति: याचिकाकर्ता के लिए अधिवक्ता केम्पाराजू और प्रतिवादी के लिए एडवोकेट कृष्ण कुमार

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