ऑनलाइन क्लास पर प्रतिबंध लगाना अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन, याचिककर्ताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट से कहा

LiveLaw News Network

5 July 2020 3:45 AM GMT

  • ऑनलाइन क्लास पर प्रतिबंध लगाना अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन, याचिककर्ताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट से कहा

    कर्नाटक में ऑनलाइन क्लास पर लगे प्रतिबंधों के ख़िलाफ़ दायर याचिका पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि ऑनलाइन क्लास पर प्रतिबंध संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है।

    राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि विशेषज्ञ समिति ने वैज्ञानिक तरीक़ों से ऑनलाइन शिक्षा देने की बात की है और उसका सुझाव सोमवार तक आ जाने की उम्मीद है। इसके बाद इस पर निर्णय लिया जाएगा और तब तक के लिए हमने अंतरिम व्यवस्था की है, महाधिवक्ता प्रभुलिंग के नवदगी ने अदालत को यह जानकारी दी।

    27 जून के अपने आदेश को संशोधित करते हुए राज्य ने एलकेजी से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए सीमित समय के लिए ऑनलाइन क्लास की अनुमति दी, क्योंकि मानव संसाधन विभाग मंत्रालाय ने इस बारे में दिशानिर्देश जारी किए थे।

    याचिकाकर्ताओं के वकील उदय होल्ला ने ऑनलाइन क्लास पर लगे प्रतिबंधों का विरोध किया और बाद में जारी संशोधित आदेश का भी जिसके द्वारा 27 जून को सीमित क्लासेज़ की अनुमति दी गई।

    याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कर्नाटक शिक्षा अधिनियम सीबीएसई/आईसीएसई पर लागू नहीं होता। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी 29 जून को ऑनलाइन क्लास चलाने की अनुमति दी थी और इसको देखते हुए यह आदेश ग़ैरक़ानूनी है।

    होल्ला ने कहा कि केरल ने ऑनलाइन क्लास की अनुमति दे रखी है और दिल्ली सरकार ने भी ऑनलाइन क्लास के लिए दिशानिर्देश जारी किया है-

    "COVID 19 अभी 6 महीना और चलेगा और अगर इतने समय तक बच्चों को शिक्षा नहीं मिली तो बहुत बुरा होगा। दुनिया भर में सभी ऑनलाइन क्लास चला रहे हैं। सिर्फ़ हमारे राज्य में ही इसकी अनुमति नहीं है। ज़रा बच्चों की मुश्किलों को देखिए और यह कि उनका क्या होगा।"

    अदालत के यह पूछने पर कि क्या ऑनलाइन क्लास को आवश्यक बनाया जा सकता है, होल्ला ने कहा, "अंततः अभिभावक और स्कूल जो जरूरी समझेंगे, करेंगे। हमें (कर्नाटक को) भारत का सिलिकन वैली कहा जाता है और अगर हम नहीं करेंगे तो कौन करेगा।"

    याचिककर्ता के वक़ील प्रदीप नायक ने कहा कि सरकार को अधिनियम की धारा 7 के तहत इस तरह का आदेश देने का कोई अधिकार नहीं है। वह ऐसे स्कूलों के बारे में भी यह आदेश नहीं दे सकता जो सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से मानयता प्राप्त नहीं हैं। धारा 7 सिर्फ़ सक्षम बनाने वाली धारा है न कि शिक्षा को रोकने वाली।

    उन्होंने कहा कि आदेश मनमाना है। उन्होंने कहा कि राज्य ने इस आदेश के समर्थन में कोई यथोचित औचित्य पेश नहीं किया है और यह संविधान के अनुच्छेद 21A का उल्लंघन करता है।

    मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभय ओका और न्यायमूर्ति नटराज रंगस्वामी की पीठ ने समयाभाव के कारण इस मामले की अगली सुनवाई अब सोमवार को करेंगे और उसने निमहंस की रिपोर्ट को उस दिन अदालत में पेश करने को कहा है।

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