ASI ने ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर अपनी सीलबंद कवर रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की

Shahadat

18 Dec 2023 9:44 AM GMT

  • ASI ने ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर अपनी सीलबंद कवर रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की

    भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर अपनी रिपोर्ट वाराणसी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत की। इस घटनाक्रम से काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद को प्रभावित करने की संभावना है।

    ASI ने वाराणसी जिला न्यायाधीश एके विश्वेश के समक्ष रिपोर्ट सौंपी। दूसरी ओर, अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी (जो ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है) द्वारा सर्वेक्षण रिपोर्ट के बारे में जानकारी मांगने के लिए याचिका दायर की गई।

    रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद हिंदू उपासकों ने अदालत के समक्ष रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की प्रार्थना की और इसमें शामिल सभी पक्षों को रिपोर्ट की प्रतियां उपलब्ध कराने के लिए निर्देश देने की मांग की।

    उल्लेखनीय है कि ASI ने वाराणसी जिला न्यायाधीश के 21 जुलाई के आदेश के अनुसार वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण किया था, जिससे यह निर्धारित किया जा सके कि मस्जिद का निर्माण हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर किया गया था, या नहीं।

    सुप्रीम कोर्ट ने 4 अगस्त को ASI को 'वुज़ुखाना' क्षेत्र को छोड़कर वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण करने से रोकने से इनकार कर दिया, जहां पिछले साल 'शिवलिंग' पाए जाने का दावा किया गया था।

    ASI की ओर से दिए गए इस वचन को रिकॉर्ड पर लेते हुए कि साइट पर कोई खुदाई नहीं की जाएगी और संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा, कोर्ट ने सर्वेक्षण करने की अनुमति दी थी।

    कोर्ट ने अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी (जो वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद का प्रबंधन करती है) द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश (3 अगस्त के) को चुनौती देने वाली याचिका का निपटारा करते हुए यह आदेश दिया था, जिसने ASI सर्वेक्षण की अनुमति दी थी।

    21 जुलाई को वाराणसी जिला न्यायाधीश ने ASI के निदेशक को उस क्षेत्र (वुज़ुख़ाना) को छोड़कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का "वैज्ञानिक सर्वेक्षण" करने का निर्देश दिया, जिसे पहले सील कर दिया गया था, जिससे यह पता लगाया जा सके कि क्या मौजूदा मस्जिद को हिंदू मंदिर की पहले से मौजूद संरचना पर बनाया गया है। इस आदेश को 3 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बरकरार रखा था।

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