यदि समान लिंग के लोग एक साथ रहने का निर्णय लेते हैं तो अनुच्छेद 21 उन्हें नहीं रोकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लेस्बियन जोड़े को सुरक्षा दी

Sharafat

17 Aug 2023 10:36 AM GMT

  • यदि समान लिंग के लोग एक साथ रहने का निर्णय लेते हैं तो अनुच्छेद 21 उन्हें नहीं रोकता : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने लेस्बियन जोड़े को सुरक्षा दी

    पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने देखते हुए कि भारत के संविधान का अनुच्छेद 21 तब लागू नहीं होता जब समान लिंग के लोग एक साथ रहने का फैसला करते हैं, गुरुवार को सैम सेक्स वाले लिव-इन जोड़े को पुलिस सुरक्षा दी।

    जस्टिस अनूप चितकारा की पीठ ने यह आदेश एक प्रमुख समलैंगिक जोड़े द्वारा दायर सुरक्षा याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, जो पिछले चार वर्षों से लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रह रहे हैं।

    कोर्ट ने अपने आदेश में न्यायालय ने विशेष रूप से कहा कि वयस्कों के पास अपनी इच्छानुसार जीने के सभी कानूनी अधिकार हैं, जब तक कि यह किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं करता है। कोर्ट ने कहा कि प्रथम दृष्टया, लिव-इन रिलेशनशिप में एक साथ रहना लागू कानून के किसी भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं करता है।

    न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 21 समान लिंग वाले लिव-इन जोड़ों पर समान रूप से लागू होता है,

    " प्यार, आकर्षण और स्नेह की कोई सीमा नहीं है, यहां तक ​​कि जेंडर की सीमा भी नहीं। हालांकि, समाज के कुछ वर्ग अभिव्यक्ति की निर्भीकता के साथ नहीं चल सकते और वे साहस और तेजी से बदलते लोकाचार और जीवनशैली के साथ तालमेल नहीं रख सकते। Gen-Z (इंटरनेट और सोशल मीडिया वाली जनरेशन) गले मिलना या उनका अनुसरण करना पसंद कर सकती है, जिसमें खुले तौर पर सैम सेक्स के व्यक्तियों के प्रति अपने आकर्षण की घोषणा करना भी शामिल है।"

    न्यायालय ने यह देखते हुए कि भारत के क्षेत्र में प्रत्येक व्यक्ति को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन का एक अंतर्निहित और अपरिहार्य मौलिक अधिकार है और राज्य जीवन की रक्षा करने के लिए बाध्य है, संबंधित पुलिस अधीक्षक, SHO को याचिकाकर्ताओं को उचित सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया।

    कोर्ट ने निर्देश दिया कि आज से दो सप्ताह के लिए याचिकाकर्ताओं की सुरक्षा के लिए कम से कम दो महिला पुलिस अधिकारियों को तैनात किया जाए। हालांकि, न्यायालय ने कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं को सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है तो उनके अनुरोध पर इसे दो सप्ताह की समाप्ति से पहले भी बंद किया जा सकता है।

    उसके बाद संबंधित अधिकारियों को जमीनी हकीकत के दिन-प्रतिदिन के विश्लेषण या याचिकाकर्ताओं के मौखिक या लिखित अनुरोध पर सुरक्षा बढ़ाने के लिए कहा गया।

    इन निर्देशों के साथ याचिका का निस्तारण कर दिया गया।

    केस टाइटल - पूजा और अन्य बनाम पंजाब राज्य और अन्य [ सीआरडब्ल्यूपी नंबर 8041/2023]

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