'स्पष्ट रूप से अवैध गिरफ्तारी': पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की रिहाई के आदेश दिए
LiveLaw News Network
23 Aug 2021 8:29 AM IST
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने गुरुवार रात को पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए गिरफ्तारी को स्पष्ट रूप से अवैध बताते हुए राज्य सतर्कता ब्यूरो की हिरासत से उनको रिहा करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी की एकल पीठ ने कथित धोखाधड़ी, जालसाजी, भ्रष्टाचार मामले में सतर्कता ब्यूरो द्वारा गिरफ्तार किए जाने के 24 घंटे बाद ही उनकी रिहाई का आदेश दिया।
सुमेध सिंह सैनी के खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 467, 468, 471 और 120-बी और भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम, 1988 की धारा 13 (1) (ए) के साथ पठित धारा 13 (2) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
एकल पीठ ने रात के दौरान मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि सुमेध सिंह सैनी की गिरफ्तारी उच्च न्यायालय के पहले के आदेशों (दिनांक 11 अक्टूबर, 2018, 23 सितंबर, 2020 और अग्रिम जमानत आदेश दिनांक 12 अगस्त) का उल्लंघन है।
न्यायालय के महत्वपूर्ण रूप से 11 अक्टूबर, 2018 के आदेश ने विशेष रूप से एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य कर दिया था कि यदि उसे गिरफ्तार किया जाना है या उसके खिलाफ कोई कार्रवाई करने पर विचार किया गया है तो उसकी गिरफ्तारी से पहले उसे एक सप्ताह का अग्रिम नोटिस दिया जाएगा। ताकि वह अपने लिए उपलब्ध उपचारों का सहारा ले सके।
कोर्ट ने इसके अलावा 23 सितंबर, 2020 के आदेश में सैनी के पूरे सेवा करियर के दौरान सभी मामलों/घटनाओं के लिए सुरक्षा बढ़ा दी थी।
न्यायालय के समक्ष यह कहा गया कि सैनी की सेवानिवृत्ति के बाद से, वह विभिन्न आपराधिक मामलों में उन्हें फंसाने के लिए पंजाब में राज्य सरकार के शासन के निशाने पर हैं।
पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय ने हाल ही में भ्रष्टाचार के एक मामले में पंजाब के पूर्व पुलिस महानिदेशक सुमेध सिंह सैनी को अंतरिम अग्रिम जमानत दी थी।
न्यायमूर्ति अवनीश झिंगन की खंडपीठ ने कहा कि चूंकि उन्हें जेड-प्लस सुरक्षा प्राप्त है, इसलिए उनके फरार होने की कोई संभावना नहीं है। इस प्रकार उन्हें एक सप्ताह के भीतर जांच में शामिल होने के अधीन अंतरिम अग्रिम जमानत दी गई।
कोर्ट का आदेश
कोर्ट ने शुरुआत में कहा कि याचिकाकर्ता की आशंकाएं अच्छी तरह से स्थापित हैं और सरकार के आचरण से प्रमाणित होती हैं।
न्यायालय ने इसके बाद रिहाई का आदेश देते हुए कहा,
"उपरोक्त संदर्भित न्यायिक मिसालों और ऊपर चर्चा किए गए तथ्यों और मामले की परिस्थितियों को देखते हुए गिरफ्तारी की अवैधता को प्रमाणित करते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका की अनुमति दी जाती है और हिरासत में लिए गए संरक्षण आदेशों के उल्लंघन में अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया माना जाता है। 11.10.2018 और 23.09.2020 और अंतरिम अग्रिम जमानत आदेश दिनांक 12.08.2021 को इस न्यायालय की समन्वय पीठ द्वारा पारित किया गया है। इसलिए, बंदी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया जाता है।"
न्यायालय ने जांच अधिकारी को आदेश दिनांक 11.10.2018 और 23.09.2020 के अनुसार सात दिन का नोटिस देकर गिरफ्तार करने की स्वतंत्रता दी है और साथ ही सीआरएम की सुनवाई करने वाली अदालत की संबंधित समन्वय पीठ (CRM-M-45242-2018) से अनुमति ली जाए, जिसमें बंदी को काफी हद तक उन्हीं आरोपों पर अंतरिम अग्रिम जमानत दी गई है।
केस का शीर्षक - शोभा बनाम पंजाब राज्य एंड अन्य