क्या कैदियों के साथ वीडियो कॉल का अनुरोध करने वाले लोगों के आधार कार्ड डिटेल्स वेरिफाइड हैं? दिल्ली हाईकोर्ट ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक से पूछा

Brij Nandan

3 Nov 2022 4:00 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने तिहाड़ जेल के अधीक्षक को यह प्रक्रिया समझाने का निर्देश दिया है कि जेल अधिकारियों द्वारा कैदियों के साथ वीडियो कॉल करने के अनुरोध को कैसे निपटाया जाता है।

    जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने यह भी पूछा कि क्या इस तरह के वीडियो कॉल का कोई रिकॉर्ड रखा जाता है और कितनी अवधि के लिए कॉल की अनुमति है।

    अदालत ने विशेष रूप से पूछा है कि वीडियो कॉल द्वारा वर्चुअल मीटिंग स्थापित करने का अनुरोध करने वाले व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत किए गए आधार कार्ड जेल अधिकारियों द्वारा सत्यापित हैं या नहीं।

    अदालत ने यह आदेश तब पारित किया जब आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वकील ने उसकी जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान दावा किया कि अभियोक्ता ने विभिन्न तारीखों पर उसके साथ वीडियो कॉल करने के लिए जेल अधिकारियों से अनुरोध किया था।

    15 नवंबर से तिहाड़ जेल में बंद आरोपी पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 363, 365, 328, 506 और 354डी के तहत पॉक्सो एक्ट की धारा 12 के तहत मामला दर्ज किया है।

    31 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान, चूंकि अभियोजन पक्ष अदालत में मौजूद था, जस्टिस शर्मा को एपीपी द्वारा अवगत कराया गया कि जेल अधिकारियों के अनुसार, आरोपी के साथ वीडियो कॉल के लिए आधार कार्ड संख्या 'एक्स' के साथ एबीसी (अभियोजन पक्ष का नाम) से एक अनुरोध प्राप्त हुआ था।

    हालांकि, आरोपी की ओर से पेश वकील ने कहा कि विचाराधीन आधार कार्ड अभियोक्ता का नहीं बल्कि एक पुरुष व्यक्ति का है। यह ई-वेबसाइट से सत्यापित किया गया है।

    अदालत को बताया गया,

    "अभियोक्ता का सही आधार कार्ड नंबर 'वाई' पाया गया है।"

    मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, अदालत ने कहा कि यह आरोप लगाया गया है कि धारा 363 आईपीसी के तहत एक मामले में अभियोक्ता वीडियो कॉल सेट करने की कोशिश कर रही है और कई मौकों पर आरोपी के साथ वर्चुअल बैठक के लिए अनुरोध कर रही है। हालांकि अभियोक्ता द्वारा इनकार किया गया, जो न्यायालय में मौजूद है और जांच अधिकारी द्वारा उसकी पहचान की गई है।

    इसमें कहा गया,

    "इसका मतलब यह हो सकता है कि किसी ने आरोपी के साथ वीडियो कॉल करने के लिए अभियोजन पक्ष के फर्जी नाम का इस्तेमाल किया है। अदालत में दावा किया है कि वह जेल में उससे संपर्क करने की कोशिश कर रही है। अगर यह सच पाया जाता है, तो गंभीर अपराध है। कोई भी अभियोजन और देश की हानि के लिए ऐसी सुविधा का दुरुपयोग कर सकता है।"

    जेल अधिकारियों से कैदियों को वीडियो कॉल के अनुरोध के संबंध में प्रक्रिया के बारे में पूछते हुए, अदालत ने आदेश दिया कि आरोपी द्वारा उल्लिखित वीडियो कॉल के रिकॉर्ड को संरक्षित किया जाए और विवरण आईओ को सौंप दिया जाए और अदालत को भेजा जाए।

    अदालत ने मामले को सूचीबद्ध करते हुए कहा,

    "वीडियो कॉल की स्थापना के लिए प्रस्तुत दस्तावेज और उपरोक्त वीडियो कॉल के लिए प्राप्त अनुरोध से संबंधित विवरण भी सुनवाई की अगली तारीख से पहले आईओ और इस अदालत को प्रदान किए जाएं।"

    मामले में अगली सुनवाई 19 जनवरी 2023 को होगी।

    आरोपी के खिलाफ आरोप यह था कि उसने अभियोक्ता का अपहरण कर लिया था और उसे कुछ नशीला पदार्थ भी पिलाया था।

    5 जुलाई को, आरोपी की ओर से पेश वकील ने अदालत को अवगत कराया था कि अभियोक्ता ने आरोपी से संपर्क करके जेल में एक वीडियो कॉल स्थापित करने का अनुरोध किया था क्योंकि वह कथित तौर पर उससे शादी करने में दिलचस्पी रखती थी।

    इसके बाद 29 सितंबर को जांच अधिकारी ने इस बात की पुष्टि की कि जेल में वीडियो कॉल कर पीड़िता आरोपी के नियमित संपर्क में थी।

    तदनुसार, अदालत ने अभियोक्ता को उसके सामने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित रहने का निर्देश दिया, इस दावे के मद्देनजर कि वह आरोपी से शादी करने में रुचि रखती है।

    केस टाइटल: तरुण कुमार बनाम राज्य एंड अन्य।

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