'6 महीने के भीतर सभी ब्लड बैंकों में उचित चिकित्सा और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति करें': राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया

Brij Nandan

6 Oct 2022 11:38 AM GMT

  • 6 महीने के भीतर सभी ब्लड बैंकों में उचित चिकित्सा और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति करें: राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य को निर्देश दिया

    राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) ने हाल ही में सभी ब्लड बैंकों में उचित चिकित्सा और टेक्निकल स्टाफ की नियुक्ति करने और पूरे राज्य में एक समान आधार पर एलिसा IV टेस्ट किट के अनिवार्य उपयोग के लिए निर्देश दिए हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने एक जनहित याचिका रिट याचिका (PIL) के रूप में रिट याचिका दायर की थी और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन, नई दिल्ली (NACO) और राजस्थान राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी को अपनी याचिका में पक्षकार बनाया था।

    एंजाइम-लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट परख (एलिसा) IV जनरेशन टेस्ट एक अधिक व्यापक टेस्ट है जिसका उपयोग ब्लड कैंपल में एचआईवी-स्पेसफिक एंटीजन और एचआईवी एंटीबॉडी दोनों की पहचान करके तीव्र एचआईवी का पता लगाने के लिए किया जाता है।

    प्रतिवादियों ने कहा कि एनएटी के माध्यम से बल्ड विश्लेषण राजस्थान में दो केंद्रों पर पहले से ही उपलब्ध है और एलिसा IV जनरेशन टेस्ट किट, उपयोग के लिए राजस्थान सरकार द्वारा पहले ही अनुमोदित कर दिया गया है। प्रतिवादियों में चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राजस्थान सरकार के साथ-साथ भारत के औषधि महानियंत्रक भी शामिल हैं।

    जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर ने विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राज्य भर में ब्लड बैंकों में अभी तक उचित जनशक्ति उपलब्ध नहीं है। इसका मतलब संवेदनशील चिकित्सा उपकरणों का उचित उपयोग नहीं किया जा रहा है।

    कोर्ट ने निर्देश दिया,

    "हम इसके द्वारा चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, राजस्थान सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि जहां भी आवश्यक हो, उचित चिकित्सा और तकनीकी कर्मचारियों को राजस्थान राज्य भर में ब्लड बैंकों में जल्द से जल्द और अगले छह महीनों के भीतर नियुक्त किया जाए। अब से एलिसा IV टेस्ट किट का इस्तेमाल सभी ब्लड बैंकों/केंद्रों में समान रूप से किया जाएगा।"

    केस टाइटल: ऋतुराज सिंह राठौर और अन्य बनाम प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, राजस्थान और अन्य

    साइटेशन: डी.बी. सिविल रिट याचिका संख्या 12718 ऑफ 2016

    कोरम: जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस कुलदीप माथुर

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