एओ अधिक कर वसूलने के लिए निर्धारिती की अज्ञानता का फायदा नहीं उठा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट ने संशोधित आईटीआर दाखिल में 6 साल की देरी को माफ किया

LiveLaw News Network

7 March 2022 10:16 AM GMT

  • एओ अधिक कर वसूलने के लिए निर्धारिती की अज्ञानता का फायदा नहीं उठा सकता: कर्नाटक हाईकोर्ट ने संशोधित आईटीआर दाखिल में 6 साल की देरी को माफ किया

    Karnataka High Court

    कर्नाटक हाईकोर्ट की एक पीठ ने संशोधित आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में 6 साल की देरी को माफ कर दिया है।

    जस्टिस सुनील एस यादव की एकल पीठ ने कहा है कि परिपत्र संख्या 014 (एक्सएल -35), 11.04.1955 का इरादा ऐसा नहीं था कि देय कर नहीं लगाया जाना चाहिए या निर्धारण के मामले में किसी पर कोई एहसान किया जाना चाहिए, या जहां जांच के लिए बुलाया जाता है, उन्हें नहीं किया जाना चाहिए।

    जो भी वैध कर है उसका आकलन किया जाना चाहिए और उसे एकत्र किया जाना चाहिए। सर्कुलर का उद्देश्य केवल इस बात पर जोर देना है कि कर अधिकारी को उससे अधिक कर वसूल करने के लिए एक निर्धारिती की अज्ञानता का लाभ नहीं उठाना चाहिए, जो उससे वैध रूप से देय है।

    याचिकाकर्ता/निर्धारिती, आईसीआईसीआई बैंक का एक सेवानिवृत्त कर्मचारी है, जिसने रिजर्व बैंक की वैकल्पिक प्रारंभिक सेवानिवृत्ति योजना का लाभ उठाया और उसे 5,00,000/- रुपये के सेवानिवृत्ति लाभ का भुगतान किया गया था।

    याचिकाकर्ता/निर्धारिती ने प्रस्तुत किया कि निर्धारण वर्ष 2004-2005 के लिए आय की विवरणी दाखिल की गई थी और दाखिल विवरणी में याचिकाकर्ता ने छूट के लाभ का दावा नहीं किया था जैसा कि आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(10सी) के तहत उपलब्ध था।

    प्रतिवादी ने याचिकाकर्ता द्वारा दायर विवरणी को स्वीकार करते हुए अधिनियम की धारा 143(1) के तहत सूचना जारी की।

    इसके बाद याचिकाकर्ता ने संशोधित रिटर्न दाखिल करने की मांग की। प्रतिवादी/विभाग ने विलंब को माफ करने के आवेदन को समयबाधित के रूप में खारिज कर दिया है क्योंकि निर्धारण वर्ष के अंत से 6 साल बाद आय की वापसी को माफ नहीं किया जा सकता है और इस तरह संशोधित रिटर्न की प्रक्रिया को रोक दिया गया है।

    अधिनियम की धारा 10(10 सी) के तहत छूट की पात्रता निर्धारण अधिकारी द्वारा देखी गई थी।

    दरअसल याचिकाकर्ता ने पत्र के जरिए सुधार से राहत की भी मांग की थी। जैसा कि पत्र पर कोई आदेश पारित नहीं हुआ प्रतीत होता है, याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 119 (2) (बी) के तहत एक आवेदन द्वारा संशोधित रिटर्न दाखिल करने में देरी के लिए माफी मांगने का फैसला किया। यदि सुधार आवेदन के संबंध में एक आदेश पारित किया गया था, तो निर्धारिती को उस अंत में ही राहत मिल सकती थी। चूंकि कोई आदेश पारित नहीं किया गया था, तब निर्धारिती ने संशोधित रिटर्न दाखिल करने की संभावना तलाशने का फैसला किया।

    धारा 119(2)(बी) के तहत निर्धारिती के आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया कि इसे 6 साल की अवधि के बाद दायर किया गया था, जबकि यह देखते हुए कि परिपत्र 9/2015, 09.06.2015 6 वर्ष से अधिक देरी को माफ करने की अनुमति नहीं देता है।

    केस शीर्षक: देवेंद्र पाई बनाम सहायक आयकर आयुक्त

    सिटेशन: रिट याचिका संख्या 52305/2018 (टी-आईटी)

    याचिकाकर्ता के वकील: वरिष्ठ अधिवक्ता एस. शंकर

    प्रतिवादी के लिए वकील: एवोकेट ईआई सनमथी

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