आत्महत्या पर रोक लगाने के लिए राज्य तीन सप्ताह के भीतर आत्महत्या विरोधी (Anti-suicide) हेल्पलाइन स्थापित करे:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

SPARSH UPADHYAY

30 Aug 2020 2:42 PM GMT

  • आत्महत्या पर रोक लगाने के लिए राज्य तीन सप्ताह के भीतर आत्महत्या विरोधी (Anti-suicide) हेल्पलाइन स्थापित करे:हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

    Anti-suicide help line himachal pradesh high court

    हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शुक्रवार (28 अगस्त) को राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर एक आत्महत्या विरोधी हेल्पलाइन नंबर (anti-suicide helpline number) स्थापित करने का आदेश दिया है।

    न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर एवं न्यायमूर्ति चंदर भूषण बरोवालिया की पीठ ने सभी अंग्रेजी और हिंदी अखबारों में विज्ञापन और आधिकारिक संचार प्लेटफार्मों के माध्यम से उक्त हेल्पलाइन नंबर के प्रकाशन का भी निर्देश दिया है।

    दरअसल, यह आदेश कानून के एक छात्र, तुषार सिंह द्वारा दायर याचिका पर दिया गया है, जिसके अंतर्गत आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन नंबर को तुरंत सक्रिय करने की मांग की गयी थी।

    भारतीय विद्यापीठ पुणे में अध्ययन करने वाले लॉ छात्र तुषार ने इस याचिका के माध्यम से अदालत को यह बताया था कि COVID -19 महामारी के दौरान बहुत से लोग आत्महत्या कर रहे हैं और ऐसा लगता है कि सरकार इसे रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाने में विफल रही है।

    याचिकाकर्ता ने अदालत से यह अनुरोध किया कि राज्य में मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम, 2017 को पूर्ण रूप में लागू किया जाए। गौरतलब है कि इस कानून के तहत मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या की रोकथाम से संबंधित विभिन्न प्रावधान हैं।

    याचिकाकर्ता ने अदालत से यह आग्रह किया था कि चौबीसों घंटे हेल्पलाइन के कुशल संचालन के लिए एनजीओ को रोपित किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता ने कहा भी कि यदि मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया जाता है, तो आत्महत्याओं की संख्या पर अंकुश लगाया जा सकता है।

    उन्होंने आगे यह भी मांग की थी कि पर्याप्त ज्ञान रखने वाले कुशल लोगों को इस उद्देश्य के लिए काम पर रखा जाना चाहिए और उन्हें मनोचिकित्सकों, मनोवैज्ञानिकों और अन्य सहायक कर्मचारियों का समर्थन भी दिया जाना चाहिए।

    अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और अधिकारियों को अपनी प्रतिक्रिया दर्ज करने का निर्देश दिया और मामले को 15 अक्टूबर को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

    गौरतलब है कि बीते जून के महीने में दिल्ली उच्च न्यायालय में भी एक याचिका दायर की गई है जिसमें लॉकडाउन और COVID-19 से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक / मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों को संबोधित करने के लिए दिल्ली में परामर्श केंद्र स्थापित करने की मांग की गई थी।

    अधिवक्ता सुनील कुमार द्वारा दायर की गई उस याचिका में दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग की गयी थी कि सर्कार तालाबंदी के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहे लोगों को मनोवैज्ञानिक परामर्श प्रदान करने के लिए परामर्श केंद्र और हेल्पलाइन नंबर स्थापित करे।

    इससे पहले अप्रैल के महीने में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि दिल्ली में वरिष्ठ नागरिकों की सहायता के लिए दो दिनों के भीतर जो हेल्पलाइन नंबर स्थापित किया जाना प्रस्तावित है, वह गर्भवती महिलाओं के लिए भी उपलब्ध कराया जाए।

    सरकार द्वारा दिए गए आश्वासनों को रिकॉर्ड पर लेते हुए, न्यायमूर्ति हेमा कोहली और न्यायमूर्ति सुब्रमणियम प्रसाद की खंडपीठ ने दिल्ली सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि समाचार पत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से दिल्ली पुलिस के माध्यम से, जहाँ भी संभव हो, उक्त हेल्पलाइन नंबर को सार्वजनिक किया जाए।

    आदेश की प्रति डाउनलोड करेंं



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