एएमयू में सीएए विरोधी भाषण मामला: डॉ. कफील खान ने अपने खिलाफ लगे आपराधिक मामले रद्द करने की मांग को लेकर दायर की याचिका, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा
LiveLaw News Network
24 March 2021 3:09 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार (23 मार्च) को डॉ. कफील खान द्वारा अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में दिए गए उनके कथित भड़काऊ भाषण के लिए शुरू की गई आपराधिक कार्यवाही को खत्म करने की मांग वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया।
जस्टिस जे. जे. मुनीर की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार से जवाब मांगा और मामले को 6 अप्रैल को आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट कर दिया।
गौरतलब है कि 29 जनवरी को डॉ. कफील को यूपी एसटीएफ ने भड़काऊ भाषण के आरोप में मुंबई से गिरफ्तार किया था। 10 फरवरी को अलीगढ़ सीजेएम कोर्ट ने जमानत के आदेश दिए थे लेकिन उनकी रिहाई से पहले NSA लगा दिया गया। उन पर अलीगढ़ में भड़काऊ भाषण और धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप लगाए गए थे।
13 दिसंबर, 2019 को अलीगढ़ में उनके खिलाफ धर्म, नस्ल, भाषा के आधार पर नफरत फैलाने के मामले में धारा 153-ए के तहत केस दर्ज किया गया था। आरोप है कि 12 दिसंबर को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों के सामने दिए गए संबोधन में धार्मिक भावनाओं को भड़काया और दूसरे समुदाय के प्रति शत्रुता बढ़ाने का प्रयास किया।
इसमें ये भी कहा गया कि 12 दिसंबर 2019 को शाम 6.30 बजे डॉ. कफील और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष व एक्टिविस्ट डॉ. योगेंद्र यादव ने AMU में लगभग 600 छात्रों की भीड़ को CAA के खिलाफ संबोधित किया था जिस दौरान कफील ने ऐसी भाषा का प्रयोग किया।
अगस्त 2017 में गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ऑक्सीजन आपूर्ति की कमी के कारण लगभग 60 शिशुओं की मौत के मामले के दौरान खान पहली बार खबरों में आए थे। शुरू में सूचित किया गया था कि उन्होंने अपनी जेब से भुगतान करके आपातकालीन ऑक्सीजन की आपूर्ति की व्यवस्था करने के लिए तुरंत कार्रवाही करके एक उद्धारकर्ता के रूप में काम किया।
बच्चों के लिए गैस सिलेंडरों की व्यवस्था करने में नायक माने जाने के बावजूद, उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा धारा 409 (लोक सेवक द्वारा विश्वास का आपराधिक उल्लंघन ), 308 ( गैर इरादतन हत्या का प्रयास) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दर्ज एफआईआर में नामजद किया गया था।
यह आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अपने कर्तव्यों में लापरवाही की थी जिसके परिणामस्वरूप ऑक्सीजन की कमी हुई। उन्हें सितंबर 2017 में गिरफ्तार किया गया था, और अप्रैल 2018 में ही रिहा कर दिया गया था, जब उच्च न्यायालय ने यह देखते हुए कि व्यक्तिगत रूप से डॉ खान के खिलाफ चिकित्सा लापरवाही के आरोपों को स्थापित करने के लिए कोई सामग्री मौजूद नहीं है, उनकी जमानत अर्जी को अनुमति दे दी थी।
उन्हें पद पर लापरवाही बरतने आरोप में सेवा से भी निलंबित कर दिया गया था। विभागीय जांच की एक रिपोर्ट में उन्हें सितंबर 2019 में आरोपों से मुक्त कर दिया गया।
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