'नगर निगम ने दूसरों की भावनाओं की उपेक्षा करते हुए इसे सालों तक चलने दिया': दिल्ली हाईकोर्ट ने पेड़ों के कंक्रीटीकरण पर एसडीएमसी, दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा

LiveLaw News Network

9 Nov 2021 11:33 AM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट

    दिल्ली हाईकोर्ट ने शहर के वसंत विहार इलाके में सैकड़ों पेड़ों के कंक्रीटीकरण पर दक्षिणी दिल्ली नगर निगम और दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है।

    कोर्ट ने कहा कि नगर निगम ने दूसरों की भावनाओं की उपेक्षा करते हुए इसे सालों तक चलने दिया।

    न्यायमूर्ति नजमी वज़ीरी ने कहा कि सड़क का कंक्रीटीकरण उच्च न्यायालय और एनजीटी के निर्देशों की परवाह किए बिना किया गया। यह उपेक्षा न केवल नगर निगम बल्कि सड़क रखरखाव एजेंसी लोक निर्माण विभाग द्वारा भी दिखाई गई है।

    कोर्ट ने आदेश दिया,

    "डीसीपी की पूर्व स्वीकृति से संबंधित क्षेत्र के एसएचओ द्वारा एक हलफनामा दायर किया जाए, जिसमें बताया गया हो कि कैसे कंक्रीटीकरण को होने दिया गया। उपायुक्त, एसडीएमसी और पीडब्ल्यूडी, जीएनसीटीडी के कार्यकारी इंजीनियर जो कि सड़क का मालिक है, द्वारा एक हलफनामा भी दायर किया जाएगा। उपरोक्त को देखते हुए ट्री ऑफिसर, जीएनसीटीडी भी एक आवश्यक पक्षकार होगा और प्रतिवादी संख्या 4 के रूप में उसे पक्षकार बनाया गया है।"

    न्यायालय पेड़ों के संरक्षण के लिए प्रतिवादी अधिकारियों की निष्क्रियता को उजागर करने वाली एक याचिका पर विचार कर रहा था।

    याचिका में उच्च न्यायालय के साथ-साथ नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेशों का पालन न करने का भी हवाला दिया गया।

    कोर्ट ने एसडीएमसी के सरकारी वकील संजीव सभरवाल द्वारा दिखाए गए तस्वीरों को देखते हुए कहा कि इसी में दिख रहा है कि पेड़ के तने तक सैकड़ों पेड़ कंक्रीट किए गए, उनमें कीलें लगी हुई हैं और पेड़ों के साथ धातु के तार बंधे हुए हैं। इस अर्थ है कि स्पष्ट रूप से "पेड़ों का शिकार" किया गया है।

    अदालत ने कहा,

    "निश्चित रूप से आवासीय कॉलोनी के अंदर सड़कों का रखरखाव करने वाले नगर निगम ने इस पर ध्यान दिया होगा, लेकिन इसके लिए सबसे अच्छी तरह से ज्ञात कारणों के लिए वर्षों तक इस घिनौने मामले को चलने दिया।"

    तदनुसार, अदालत ने एसडीएमसी के उपायुक्त को स्थिति के बारे में बताते हुए एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

    आगे कहा,

    "कार्यकारी इंजीनियर, एसडीएमसी, साथ ही इसके निदेशक (बागवानी) से एक रिपोर्ट मांगी जाएगी। जिम्मेदारी तय की जाएगी और इस आदेश की एक प्रति प्राप्त होने की तारीख से एक सप्ताह के भीतर उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित किए जाएंगे।"

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता आदित्य एन प्रसाद ने प्रस्तुत किया कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 के तहत पेड़ों के शिकार और अवैध गतिविधियों के संबंध में दिसंबर 2020 में वृक्ष अधिकारी को एक शिकायत की गई थी। हालांकि, अदालत को सूचित किया गया कि कोई कार्रवाई करने के बजाय वसंत विहार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष को नोटिस जारी किया गया है।

    यह भी निवेदन किया गया कि इस तरह का नोटिस जारी करना पूरी तरह से विचार के बिना है क्योंकि एसोसिएशन वास्तव में उक्त कॉलोनी में पेड़ों के संरक्षण में शामिल है।

    कोर्ट ने कहा,

    "निश्चित रूप से क्षेत्र की पारिस्थितिकी को संरक्षित करने के लिए रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के प्रयासों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।"

    कोर्ट ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए मामले को आगे की सुनवाई के लिए 15 नवंबर के लिए सूचीबद्ध किया।

    केस का शीर्षक: भावरीन कंधारी बनाम ज्ञानेश भारती एंड अन्य



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