पुलिस द्वारा वकीलों की बेरहमी से पिटाई के आरोप : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नये आयोग से उचित जांच की आवश्यकता जतायी

LiveLaw News Network

23 Nov 2020 5:11 AM GMT

  • Allahabad High Court expunges adverse remarks against Judicial Officer

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन कर रहे वकीलों की पुलिस द्वारा बेरहमी से पिटाई के आरोपों की जांच के लिए नये आयोग के गठन का राज्य सरकार को हाल ही में निर्देश दिया।

    सरकारी वकील की ओर से न्यायमूर्ति मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ को अवगत कराया गया कि वकीलों के खिलाफ पुलिसिया कार्रवाई की जांच के लिए सेवानिवृत्त जज के एक आयोग का पहले गठन किया गया था।

    हालांकि, कोर्ट को यह भी बताया गया कि आयोग ने कोई रिपोर्ट नहीं सौंपी, अलबत्ता उसने मामले को बंद करने की सिफारिश जरूर की। आयोग का कहना था, "समय बीतने के साथ मामला अब शांत हो गया है।"

    इस पर कोर्ट ने कहा,

    "हम आयोग की सिफारिश पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं। वैसे तो आयोग का गठन रिपोर्ट सौंपने के लिए किया गया था, न कि समय बीतने के साथ इस मामले को निष्फल बनाने को, खासकर ऐसे मामले में, जहां शांतिपूर्ण आंदोलन पर पुलिस द्वारा वकीलों की बेरहमी से पिटाई के आरोप हों।"

    कोर्ट ने आगे कहा कि रिट याचिका में उठाये गये मुद्दे इस तरह से बंद नहीं किये जा सकते जैसी सिफारिश की गयी है, बल्कि इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने की जरूरत है।

    कोर्ट ने कहा कि प्रशासन और पुलिसकर्मियों में अनुशासन बनाये रखने के लिए इस मामले को तार्किक निष्कर्ष तक पहुंचाने की आवश्यकता है। "पुलिस ने बेहरमी से प्रहार किया, जिसके कारण कई वकील न केवल गम्भीर रूप से घायल हुए, बल्कि उन्हें मल्टीपल फ्रैक्चर भी हुए।"

    याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि आयोग इसलिए जांच पूरी नहीं कर सका, क्योंकि उसे राज्य सरकार द्वारा आवश्यक इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं उपलब्ध नहीं करायी गयी।

    कोर्ट ने आगे निर्देश दिया,

    "आयोग के नये सिरे से गठन के लिए राज्य सरकार से आवश्यक निर्देश लिये जायें। यह सरकार के खिलाफ नहीं जाना चाहिए, क्योंकि पुलिस में या कहीं और भी अच्छे प्रशासन की जरूरत है। इससे सरकार को मदद ही मिलेगी, क्योंकि कुछ पुलिसकर्मियों की गलतियों का दोष सरकार पर ही आता है, जबकि वह (सरकार) ऐसा कोई इरादा नहीं रखती या पुलिसकर्मियों को कानून अपने हाथ में लेने का निर्देश नहीं देती। सरकार का प्रयास हमेशा साफ - सुथरा प्रशासन देने और हर किसी को सुविधा देने का होता है।"

    अंत में, कोर्ट ने आदेश दिया कि "इस मामले की वास्तविक जांच हो और उसकी रिपोर्ट सौंपी जाये, ताकि सरकार इस मामले में सही निर्णय ले सके।"

    इस मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच जनवरी 2021 की तारीख मुकर्रर की गयी है, ताकि आयोग के गठन के निर्देश दिये जा सकें और उसके बाद रिपोर्ट मांगी जा सके।

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