इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर हाईकोर्ट को दो सप्ताह के लिए बंद करने का अनुरोध किया

LiveLaw News Network

14 April 2021 12:29 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कोरोना के बढ़ते मामलों के मद्देनजर हाईकोर्ट को दो सप्ताह के लिए बंद करने का अनुरोध किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने हाईकोर्ट से आग्रह किया है कि वह कम से कम दो सप्ताह की अवधि के लिए परिसर को बंद कर दे। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में बढ़ते COVID-19 मामलों के मद्देनजर पूर्ण लॉकडाउन की आवश्यकता पर जोर दिया।

    वरिष्ठ अधिवक्ता अमरेन्द्र नाथ सिंह ने कहा, जैसा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश में दर्ज किया गया है, आग्रह किया कि हाईकोर्ट को कम से कम दो सप्ताह के लिए बंद कर दिया जाना चाहिए, ताकि मुकदमेबाज और वकील अदालत में न पहुंचें और संक्रमण के प्रसार को रोका जा सके।"

    आदेश में आगे कहा गया है कि सिंह ने प्रस्तुत किया है कि निचले न्यायालयों को 30 अप्रैल, 2021 तक विभिन्न मामलों में जारी किए गए गैर-जमानती वारंट का पीछा न करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है।

    सिंह ने अतिरिक्त रूप से न्यायालय को प्रस्तुत किया कि हाईकोर्ट में मामले दायर करने की खिड़की खुली रह सकती है, पर मामलों की कोई फिजिकल सुनवाई नहीं होनी चाहिए और यहां तक ​​कि उन मामलों की ऑनलाइन सुनवाई भी की जानी चाहिए, जहां विध्वंस, बेदखली और वसूली से संबंधित मामले शामिल हैं।

    जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत कुमार की इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष ये प्रस्तुतियाँ की गईं। कोर्ट कोविड केंद्रों पर अमानवीय परिस्थितियों से संबंधित और बढ़ते पॉजीटिव रोगियों के बेहतर इलाज के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

    वायरस की रोकथाम सुनिश्चित करने और COVID-19 पॉजिटिव रोगियों की स्थिति को आसान बनाने के लिए विभिन्न दिशा-निर्देश प्रदान करने के साथ ही बेंच ने हाईकोर्ट से बार एसोसिएशन के दो सप्ताह के बंद के अनुरोध पर विचार करने का अनुरोध किया है।

    आदेश में कहा गया है,

    "हाईकोर्ट को केवल वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए अत्यावश्यक मामलों के लिए सीमित संख्या में बेंचों में ऑनलाइन सुनवाई के लिए खुला रहना चाहिए। सभी लंबित गैर-जमानती वारंट और विस्तार पर रोक लगाने के लिए हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष द्वारा किए गए अनुरोध के संबंध में अंतरिम आदेश पर हमारा विचार है कि चूंकि 2020 की जनहित याचिका याचिका संख्या 564 पहले से ही लंबित है, इसलिए उचित दिशा-निर्देशों के लिए आवेदनों को उसी जनहित याचिका में स्थानांतरित किया जाना चाहिए।"

    अब इस मामले की अगली सुनवाई 19 अप्रैल को होगी।

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