इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता की 25 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी

Sharafat

12 July 2023 4:49 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग बलात्कार पीड़िता की 25 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने की अनुमति दी

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को मेडिकल बोर्ड की राय को ध्यान में रखते हुए 12 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को गर्भावस्था का मेडिकल टर्मिनेशन कराने की अनुमति यह कहते हुए दे दी कि कच्ची उम्र में गर्भावस्था जारी रखने से उसके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को अधिक खतरा हो सकता है।"

    जस्टिस महेश चंद्र त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की पीठ ने कहा,

    " तथ्यों और परिस्थितियों और मेडिकल रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए रिकॉर्ड पर मौजूद मेडिकल साक्ष्यों पर विचार करने के बाद याचिकाकर्ता की गर्भावस्था को समाप्त करने का आदेश देना 'न्यायसंगत, कानूनी और उचित' होगा।"

    तदनुसार, अदालत ने पीड़िता को उचित देखभाल और सावधानियों के साथ जल्द से जल्द 25 सप्ताह के गर्भ का मेडिकल टर्मिनेशन कराने की अनुमति दी।

    न्यायालय ने जिला मजिस्ट्रेट, बुलंदशहर को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता अपनी मां के साथ कल सुबह 10 बजे जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ में रिपोर्ट करें , जहां मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल उसकी गर्भावस्था को समाप्त करना सुनिश्चित करेंगे।

    " ...उक्त अभ्यास मेडिकल कॉलेज के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के प्रमुख की उपस्थिति में किया जाना है। हम मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को पर्याप्त पोस्ट-ऑपरेशन मेडिकल सुविधाएं देने का निर्देश देते हैं। अदालत ने आगे आदेश दिया, '' पीड़ित को नि:शुल्क और तीन दिनों के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें ताकि अदालत मामले में आगे बढ़ सके।'

    गौरतलब है कि दुष्कर्म पीड़िता ने अपने 25 सप्ताह के गर्भ को गिराने की मांग को लेकर 10 जुलाई को अदालत का दरवाजा खटखटाया था । यह देखते हुए कि किसी महिला को उस पुरुष के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता जिसने उसका यौन उत्पीड़न किया, हाईकोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के कुलपति से अनुरोध किया था कि वह जवाहर लाल मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ के प्रिंसिपल को मेडिकल कॉलेज का गठन करने का निर्देश दें।

    10 जुलाई के अपने आदेश में न्यायालय ने यह भी कहा था कि यौन उत्पीड़न के मामले में एक महिला को गर्भावस्था के मेडिकल टर्मिनेशन के लिए न कहने के अधिकार से वंचित करना और उस पर मातृत्व की जिम्मेदारी डालना "उसके जीने के मानवीय अधिकार से इनकार करने के समान होगा।" गरिमा के साथ क्योंकि उसे अपने शरीर के संबंध में अधिकार है जिसमें माँ बनने के लिए हाँ या ना कहना भी शामिल है"।

    अब आज मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष पेश की गई, जिस पर गौर करते हुए पीठ इस नतीजे पर पहुंची कि पीड़िता को 25 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने का आदेश देकर राहत दी जा सकती है। कोर्ट ने अब याचिकाकर्ता की आगे की मेडिकल रिपोर्ट के साथ मामले को 17 जुलाई को फिर से अगले आदेश के लिए सूची में सबसे ऊपर पोस्ट कर दिया है।

    गौरतलब है कि पीड़िता का कहना है कि उसके साथ बलात्कार हुआ था और उसके पड़ोसी ने कई बार उसका यौन उत्पीड़न किया था, हालांकि, बोलने और सुनने में असमर्थ होने के कारण वह अपनी आपबीती किसी को नहीं बता सकती थी।

    मामले में एफआईआर पीड़िता की मां ने दर्ज कराई थी, जब उसने सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करते हुए खुलासा किया था कि आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया था।

    याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट राघव अरोड़ा पेश हुए।


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