'महामारी के दौरान वह पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं': इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए और समय मांगने वाले वकील पर 5 हजार रूपये का जुर्माना लगाया

LiveLaw News Network

4 July 2021 9:29 AM GMT

  • महामारी के दौरान वह पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए और समय मांगने वाले वकील पर 5 हजार रूपये का जुर्माना लगाया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक वकील पर 5,000 / - रूपये का जुर्माना लगाया, जिसने अदालत से मामले की सुनवाई के लिए और समय देने का अनुरोध किया, क्योंकि वह एक पूरक हलफनामा दायर करना चाहता था।

    न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की पीठ ने कहा कि याचिका इस साल फरवरी और जून में दायर की गई थी। यानी चार महीने के बाद ऐसा अनुरोध किया जा रहा था। "यह याचिका वर्ष 2021 में दायर की गई थी, विशेष रूप से फरवरी के महीने में। हम जून के महीने में हैं।"

    इस प्रकार, न्यायालय ने टिप्पणी की,

    " और समय देना इस न्यायालय की रजिस्ट्री में याचिकाकर्ता द्वारा 5000/- रुपये का जुर्माना जमा करने के अधीन है, जो मुख्यमंत्री राहत कोष में जाएगा, क्योंकि वह महामारी के दौरान पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहते हैं।"

    न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर ने हाल ही में एक मामले में 50 हजार का जुर्माना लगाया था, जिसमें वकील ने स्थगन का अनुरोध किया, जब न्यायाधीश मामले को खारिज करने वाले थे।

    हालांकि, जुर्माने के संबंध में आदेश पर 'कुछ समय के लिए' रोक लगा दी गई, जब वकील ने वादा किया कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर बहस करेंगे।

    हाल ही में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में पेश होने वाले एक वकील को सुनने से इनकार कर दिया था, क्योंकि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग मोड के माध्यम से अदालत में पेश होने के दौरान स्कूटर की सवारी कर रहा था।

    न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति सैयद आफताब हुसैन रिजवी की खंडपीठ ने वकील को भविष्य में सावधान रहने को कहा और उन्हें भविष्य में इस काम को न दोहराने की सलाह दी।

    इस साल फरवरी में उड़ीसा हाईकोर्ट ने वर्चुअल मोड में कोर्ट के सामने बहस करते हुए नेक बैंड नहीं पहनने वाले वकील पर 500 रूपये का जुर्माना लगाया था।

    जुर्माना लगाते समय न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही ने कहा था,

    "पेशा गंभीर प्रकृति का है और इसकी गहनता इसकी पोशाक से पूरित है। एक अधिवक्ता होने के नाते, उनसे उचित पोशाक के साथ सम्मानजनक तरीके से अदालत के सामने पेश होने की उम्मीद की जाती है। भले ही यह एक वर्चुअल मोड हो।"

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