इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मर्डर के आरोपियों की खुद की और शिकायतकर्ता का नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने की प्रार्थना ठुकराई

Sharafat

1 Nov 2022 6:06 PM IST

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मर्डर के आरोपियों की खुद की और शिकायतकर्ता का नार्को एनालिसिस टेस्ट कराने की प्रार्थना ठुकराई

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में हत्या के कुछ आरोपियों की प्रार्थना को खारिज कर दिया, जिन्होंने मामले की सच्चाई का पता लगाने के लिए खुद के साथ-साथ शिकायतकर्ता पर ब्रेन मैपिंग टेस्ट / नार्को / लाई डिटेक्टर टेस्ट की मांग की थी।

    जस्टिस राजन राय और जस्टिस संजय कुमार पचौरी की पीठ ने हालांकि स्पष्ट किया कि अगर जांच अधिकारी खुद ही उक्त टेस्ट कराने का फैसला करता है, तो वह आरोपी की सहमति के अधीन टेस्ट करवा सकता है।

    पीठ हत्या के आरोपी की आपराधिक रिट याचिका पर विचार कर रही थी, जिसने जांच का नेतृत्व करने के लिए और सही दिशा में और मामले की सच्चाई निकालने के लिए खुद के साथ-साथ शिकायतकर्ता पर 'नार्को' या 'लाई डिटेक्टर टेस्ट' जैसी 'ब्रेन मैपिंग टेस्ट' की आधुनिक वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करने की मांग की थी।

    न्यायालय के समक्ष उनका स्पष्ट रुख था कि हालांकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम के अनुसार इस तरह के टेस्ट साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं हैं, हालांकि, वे जांच को एक दिशा देने और सच्चाई का खुलासा करने में सहायक हो सकते हैं।

    दूसरी ओर राज्य ने लुइस बनाम केरल राज्य के मामले में केरल हाईकोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए प्रार्थना पर आपत्ति जताई , जिसमें आरोपी के इशारे पर किए गए एक समान अनुरोध को इस आधार पर अस्वीकार कर दिया गया था कि इस तरह के नार्को एनालिसिस टेस्ट आदि साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य नहीं हैं और यह भी कि अभियुक्त के पास ऐसा कोई प्रवर्तनीय अधिकार नहीं है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुरू में लुइस बनाम केरल राज्य के मामले में केरल हाईकोर्ट की टिप्पणियों को ध्यान में रखा, जहां यह नोट किया गया था कि एक विशेष दवा के प्रभाव में एक नार्को एनालिसिस किया जाता है और इसलिए , इसे किसी व्यक्ति द्वारा दिए गए सचेत कार्य या बयान के रूप में नहीं लिया जा सकता।

    कोर्ट ने आगे कहा कि केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि आरोपी द्वारा अपने बचाव का समर्थन करने के लिए खुद ही निंदात्मक बयान देने की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, इसलिए केरल हाईकोर्ट के फैसले से सहमत होते हुए और यह मानते हुए कि ब्रेन मैपिंग टेस्ट या नार्को या लाई डिटेक्टर टेस्ट का परिणाम साक्ष्य में स्वीकार्य नहीं होगा, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं / अभियुक्तों के आवेदन के निपटान के लिए ऐसा कोई परमादेश जारी करने से इनकार कर दिया।

    केस टाइटल- सरोज कुमार और अन्य बनाम यूपी राज्य सचिव गृह विभाग , यूपी सिविल सेक्ट और अन्य [आपराधिक विविध।

    रिट याचिका नंबर - 7559/2022]

    साइटेश: 2022 लाइव लॉ (एबी) 478

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