इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 एमसीसी उल्लंघन मामले में राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की

Sharafat

25 Jan 2023 2:17 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 एमसीसी उल्लंघन मामले में राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही रद्द की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्यसभा सांसद और कांग्रेस नेता के खिलाफ 2019 के आदर्श आचार संहिता उल्लंघन मामले में उनके खिलाफ दर्ज पूरी आपराधिक कार्यवाही को रद्द कर दी ।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने प्रतापगढ़ी व अन्य के खिलाफ मामले की पूरी कार्यवाही, दिनांक 02.07.2022 के संज्ञान आदेश के साथ-साथ एसीजेएम-04, जिला मुरादाबाद के न्यायालय द्वारा दिनांक 10.10.2022 को पारित समन आदेश निरस्त कर दिया।

    लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान पुलिस के काम में बाधा डालने, आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने के आरोप में प्रतापगढ़ी के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 353,188, 171-एच, 143 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 127 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप यह भी लगा कि उन्होंने चुनाव प्रचार खत्म होने के बाद भी जुलूस निकालकर प्रचार किया।

    कार्यवाही को रद्द करने के लिए बेंच ने सीनियर एडवोकेट एसएफए नकवी की दलीलों को ध्यान में रखा, जिन्होंने हरविंदर सिंह उर्फ ​​रोमी साहनी बनाम यूपी राज्य और अन्य (2022 की धारा 482 संख्या 9190 के तहत आवेदन) और बृज भूषण शरण सिंह बनाम यूपी राज्य और अन्य (2022 की धारा 482 संख्या 3167 के तहत आवेदन) के मामलों में इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया फैसलों पर भरोसा किया।

    सीनियर एडवोकेट नकवी ने प्रस्तुत किया कि आईपीसी की धारा 188 के उल्लंघन के लिए, केवल 190 सीआरपीसी के तहत शिकायत दर्ज की जा सकती है, जैसा कि सीआरपीसी की धारा 195 के तहत प्रावधान किया गया है। चूंकि, मौजूदा मामले में उक्त अपराध के लिए पुलिस इंस्पेक्टर द्वारा एक एफआईआर दर्ज की गई, इस प्रकार अदालत लोक सेवक की शिकायत के अलावा सीआरपीसी की धारा 195 के तहत संज्ञान नहीं ले सकती।

    यह ध्यान दिया जा सकता है कि बृजभूषण शरण सिंह (सुप्रा) मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना था कि सीआरपीसी की धारा 195के प्रावधानों के अनुसार, आईपीसी की धारा 188 के तहत एफआईआर में एजेंसी द्वारा प्रस्तुत चार्जशीट पर कोई संज्ञान नहीं लिया जा सकता।

    हरविंदर सिंह (सुप्रा) मामले में अदालत ने देखा था कि आईपीसी की धारा 172 से धारा 188 या उकसाने के तहत दंडनीय अपराधों के संबंध में न्यायालय संबंधित लोक सेवक या किसी लोक सेवक की लिखित शिकायत पर ही संज्ञान ले सकता है। वह प्रशासनिक रूप से अधीनस्थ है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित कानून के मद्देनजर अदालत ने पूरी कार्यवाही को रद्द कर दिया और याचिका को स्वीकार कर लिया।

    अपीयरेंस

    आवेदक के वकील: शहाबुद्दीन, सैयद मोहम्मद नवाज

    विरोधी पक्ष के वकील: जीए

    केस टाइटल - मो. अहमद खान @ अहमद खान और अन्य बनाम यूपी राज्य और 2 अन्य 36651/[2022

    साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 34

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