इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश ने 2011 के शाहजहांपुर बलात्कार मामला रद्द करने के लिए दायर स्वामी चिन्मयानंद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग किया
LiveLaw News Network
22 April 2022 11:17 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस राजीव गुप्ता ने पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता स्वामी चिन्मयानंद द्वारा उनके खिलाफ वर्ष 2011 में दर्ज एक बलात्कार मामले के संबंध में दायर एक आपराधिक मामला खारिज करने वाली याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया।
बेंच के समक्ष जब मामला सुनवाई के लिए आया तो बेंच ने टिप्पणी की,
" मामला यहां से रिलीज़ किया जाता है। माननीय मुख्य न्यायाधीश / वरिष्ठ न्यायाधीश से नामांकन लेने के बाद यदि संभव हो तो 05.05.2022 को इस मामले को किसी अन्य बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करें।"
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत आवेदन के साथ इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया, जहां उन्होंने अपने खिलाफ सीजेएम शाहजहांपुर में आरोप पत्र रद्द करने के साथ-साथ उनके खिलाफ वर्ष 2011 में आईपीसी की धारा 376, 506 के तहत अदालत में लंबित एक मामले की पूरी कार्यवाही रद्द करने के लिए याचिका दायर की है।
स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती अपने खिलाफ सीआरपीसी की धारा 321 [अभियोजन से वापस लेना] के तहत मुकदमा वापस लेने के लिए राज्य द्वारा दायर आवेदन खारिज करने के मजिस्ट्रेट के एक आदेश (24 मई, 2018 को पारित) को भी चुनौती दी है।
स्वामी ने तर्क दिया है कि धारा 321 सीआरपीसी के तहत आवेदन को अस्वीकार करते हुए के लिए किसी भी आधार के बिना विद्वान मजिस्ट्रेट एक अजनबी द्वारा लिखे गए पत्र के प्रभाव में और सबूत और अन्य सामग्री पर विचार किये बिना इस तरह के आवेदन को खारिज नहीं कर सकते।
गौरतलब है कि साल 2011 में एक महिला ने आरोप लगाया था कि उसे एक आश्रम में रखा गया और पूर्व केंद्रीय मंत्री ने उसके साथ दुष्कर्म किया। उसने आरोप लगाया था कि जब वह गर्भवती हुई तो स्वामी चिन्मयानंद ने जबरदस्ती उसके बच्चे का गर्भपात करा दिया।
इस मामले में पुलिस जांच के बाद चार्जशीट दाखिल की गई थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चिन्मयानंद की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा वर्ष 2018 में राज्य सरकार ने उनके खिलाफ मामला वापस लेने का फैसला किया। इसके तहत शाहजहांपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में सीआरपीसी की धारा 321 के तहत याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने जब रेप सर्वाइवर से इस याचिका पर आपत्ति दर्ज कराने को कहा। पीड़िता के वकील ने पीड़िता की तरफ से इस आवेदन पर आपत्ति दर्ज कराई थी। इस आपत्ति पर कोर्ट ने राज्य की अर्जी खारिज कर दी थी।
केस का शीर्षक - स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती बनाम उत्तर प्रदेश राज्य और अन्य [आवेदन U/S 482 No.-23160 of 2018]
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