8 साल की यौन उत्पीड़न पीड़िता के माता-पिता ने उसकी मेडिकल जांच कराने से इनकार किया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत दी

Manisha Khatri

11 Sep 2022 12:30 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक 8 साल की बच्ची पर गंभीर यौन हमला (लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम, 2012(पॉक्सो) की धारा 10 के तहत दंडनीय) करने के मामले में आरोपी बनाए गए व्यक्ति को जमानत दे दी क्योंकि पीड़िता के माता-पिता ने उसकी मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया था।

    जस्टिस साधना रानी (ठाकुर) की खंडपीठ ने आरोपी मनोज सक्सेना को भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के बड़े जनादेश और दाताराम सिंह बनाम यूपी राज्य व अन्य (2018) 2 एससीसी 22 के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को ध्यान में रखते हुए जमानत दे दी है।

    संक्षेप में मामला

    मामले में दर्ज एफआईआर के अनुसार, 8 वर्षीय पीड़िता के परिवार के अन्य सदस्यों की अनुपस्थिति में, डिश रिपेयरिंग तकनीशियन/ आरोपी पीड़िता के घर आया और पीड़िता को अकेला देखकर उसके साथ अश्लील हरकतें शुरू कर दी। जब पीड़िता ने शोर मचाना शुरू किया तो वह घर से भाग गया।

    सीआरपीसी की धारा 161 के तहत दर्ज अपने बयान में पीड़िता ने कहा कि जब आरोपी उसके घर में डिश कनेक्शन की मरम्मत के लिए आया, तो उसने उसके कपड़ों में अपना हाथ डाला और उसके होठों को चूमा।

    सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान के अनुसार, पीड़िता ने आरोप लगाया है कि आरोपी ने उसे कसकर पकड़ लिया और उसके होठों को चूमा, उसकी पैंटी में हाथ डाला, और उसके स्तन को भी दबाया।

    आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 ए, बी, 354 और पॉक्सो एक्ट की धारा 9 डी/10 व एसी/एसटी एक्ट की धारा 3(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। इस प्रकार, उसने नियमित जमानत के लिए न्यायालय का रुख किया था। आरोपी की ओर से यह तर्क दिया गया कि एफआईआर में लगाए गए आरोप सामान्य हैं और सीआरपीसी की धारा 161 और 164 के तहत दर्ज किए गए पीड़ित के बयानों के अनुसार, आईपीसी की धारा 376 का कोई मामला नहीं बनता है।

    इसके अलावा, यह तर्क दिया गया कि पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया और पीड़िता के शरीर पर कोई चोट नहीं पाई गई है। आगे तर्क दिया गया कि पीड़िता के पिता एक पुलिसकर्मी हैं और यह एफआईआर केवल उस शक्ति का दुरुपयोग है।

    इसे देखते हुए, अदालत ने उसे जमानत दे दी और कहा कि पीड़िता के माता-पिता ने पीड़िता की किसी भी तरह की मेडिकल जांच कराने से इनकार कर दिया है।

    केस टाइटल - मनोज सक्सेना बनाम उत्तर प्रदेश राज्य व अन्य,आपराधिक मिश्रित जमानत आवेदन संख्या -27038/2022

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story