इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहला फुसला कर 90 हिंदुओं को ईसाई बनाने के आरोपी पादरी को जमानत दी

Manisha Khatri

20 Jan 2023 3:00 PM GMT

  • Allahabad High Court

    Allahabad High Court

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को उस पादरी को जमानत दे दी, जिस पर 90 हिंदुओं पर अनुचित प्रभाव डालकर, धोखाधड़ी के जरिए जबरदस्ती करके और आसानी से पैसा मिलने का वादा करके उन्हें बहला फुसला कर ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का आरोप लगाया गया है।

    जस्टिस समीर जैन की पीठ ने मामले के रिकॉर्ड को ध्यान में रखते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि सामान्य आरोपों के आधार पर उन्हें वर्तमान मामले में 35 नामित व्यक्तियों के साथ आरोपी बनाया गया था और 35 व्यक्तियों में से 6 व्यक्तियों को पहले ही जमानत पर रिहा किया जा चुका है और इस प्रकार वह समानता के आधार पर जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

    पीठ अनिवार्य रूप से विजय मसीह (पादरी) की जमानत याचिका पर विचार कर रही थी, जिसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए, 506, 420, 467, 468, 471 और उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश, 2020 की धारा 3/5(1) के तहत केस दर्ज किया गया था।

    मामले में एफआईआर वर्तमान आवेदक सहित 36 व्यक्तियों और 20 अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गई थी और आरोप के अनुसार आवेदक अन्य सह-आरोपी व्यक्तियों के साथ 90 हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवा रहा था।

    अभियुक्त की ओर से पेश उनके वकील ने तर्क दिया कि 35 अभियुक्तों में से 6 अभियुक्त पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं, और इसलिए समानता के आधार पर आवेदक भी जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

    उसके वकील द्वारा आगे प्रस्तुत किया गया कि आवेदक का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वर्तमान मामले में वह 30.10.2022 से जेल में है।

    इसे देखते हुए और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि इसी मामले में अन्य अभियुक्त पहले ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं, अदालत ने कहा कि आवेदक समानता के आधार पर जमानत पर रिहा होने का हकदार है।

    नतीजतन, अदालत ने उसे संबंधित अदालत की संतुष्टि के लिए एक व्यक्तिगत बांड और समान राशि के दो जमानतदारों को प्रस्तुत के बाद जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।

    गौरतलब है कि इसी मामले में भानु प्रताप सिंह नामक व्यक्ति को पिछले सप्ताह अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था।

    यह कहते हुए कि अग्रिम जमानत केवल उपयुक्त मामलों में प्रयोग किया जाने वाला एक असाधारण उपाय है, जस्टिस ज्योत्सना शर्मा की पीठ ने उसे राहत देने से इनकार कर दिया था क्योंकि अदालत को उसे अग्रिम जमानत देने के लिए कोई अच्छा ग्राउंड नहीं मिला।

    प्रतिनिधित्व-

    आवेदक के लिए वकील- मोहम्मद कलीम, मैरी पुंचा (शीब जोस)

    प्रतिवादी पक्ष के वकील- जी.ए.

    केस टाइटल - विजय मसीह (पादरी) बनाम यूपी राज्य, आपराधिक मिश्रित जमानत आवेदन संख्या - 57506/2022

    साइटेशन- 2023 लाइव लॉ (एबी) 27

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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