इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी को जमानत दी, पति पर खाना नहीं बनाने पर पत्नी की हत्या का आरोप

Sharafat

4 Dec 2022 10:00 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के आरोपी को जमानत दी, पति पर खाना नहीं बनाने पर पत्नी की हत्या का आरोप

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक ऐसे व्यक्ति को जमानत दी जिस पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगाया गया है। इस व्यक्ति पर आरोप है कि उसने अपनी पत्नी की हत्या इसलिए कर दी क्योंकि वह सब्जियां उपलब्ध नहीं होने के कारण खाना नहीं बना पाई थी।

    जस्टिस शेखर कुमार यादव की पीठ ने मृतक के मरने से पहले दिए गए बयान को ध्यान में रखते हुए कहा कि आवेदक - पति ने कथित अपराध करने से पहले कोई सोच विचार नहीं किया था।

    पीठ ने कहा,

    " मृतक के मरने से पहले दिए गए बयान के अवलोकन से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि कथित घटना की तारीख यानी 25.07.2013 को दोपहर में हुई, जब मृतका सब्जियों की अनुपलब्धता के कारण खाना नहीं बना पाई, जिसके लिए उसके पति ने अपना आपा खो दिया और उसे पीटना शुरू कर दिया और उसके ऊपर मिट्टी का तेल डाल कर उसे जला दिया।"

    संक्षेप में मामला

    मामले में एफआईआर मृतक के पिता शिकायतकर्ता द्वारा दर्ज कराई गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि उनकी बेटी की शादी आवेदक/आरोपी गणेश से हुई थी और उक्त शादी में पर्याप्त दहेज दिया गया था, लेकिन उसका दामाद (आवेदक) और उस्के परिजन दहेज दिए जाने से खुश नहीं थे।

    आगे आरोप है कि शिकायतकर्ता की पुत्री जब आवेदक के घर गयी तो उसे आवेदक एवं उसके परिवार के सदस्यों ने प्रताड़ित किया और आरोपी व्यक्तियों ने उसे भी पीटा। साथ ही दो लाख रुपये लाने का दबाव बनाया और उक्त मांग पूरी न होने पर प्रार्थी व अन्य सहआरोपियों ने गाली-गलौज की और उसकी पुत्री को जलाकर मार डालने की धमकी दी।

    आखिरकार 25 जुलाई 2013 को शिकायतकर्ता को उसकी बेटी के ससुराल से फोन आया कि उसकी बेटी को जला दिया गया है। शिकायतकर्ता अस्पताल पहुंचा और जब उसने अपनी पुत्री से घटना के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसके पति व उसके परिजनों ने उस पर मिट्टी का तेल डालकर जला दिया है। 1 अगस्त, 2013 को उसकी मृत्यु हो गई।

    आरोपी/मृतका के पति पर आईपीसी की धारा 498ए, 302, 326, 323, 504 और 506 के तहत मामला दर्ज कर 4 अगस्त 2013 को गिरफ्तार किया गया। आरोपी की पहली जमानत याचिका 2019 में खारिज कर दी गई थी।

    आरोपी ने दूसरी ज़मानत याचिका दाखिल की और यह तर्क दिया गया कि अधिकतम यह मामला आईपीसी की धारा 304 भाग II के तहत अपराध की सीमा तक पहुंच सकता है क्योंकि कथित घटना के 8 दिनों के बाद सेप्टिक शॉक के कारण मृतक की मृत्यु हो गई और धारा 304 भाग II के तहत अपराध के लिए अधिकतम सजा आईपीसी की अवधि 10 वर्ष है।

    आगे का तर्क यह दिया गया कि आवेदक अगस्त 2013 से जेल में बंद है, जिसका कोई पिछला आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है और वह पहले ही साढ़े 9 साल से अधिक जेल की सजा काट चुका है, इसलिए, आवेदक को जमानत पर रिहा किया जा सकता है।

    न्यायालय की टिप्पणियां

    न्यायालय ने समग्र तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करने के बाद कहा कि यह एक स्वीकृत तथ्य है कि मृतक को अस्पताल में भर्ती कराया गया था और उसकी मृत्यु से पहले 8 दिनों तक अस्पताल में उसका इलाज चला इसलिए न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि यह स्थापित किया गया था कि 8 दिनों की उक्त अवधि के दौरान, चोटें और भी बदतर हो गईं, परिणामस्वरूप, सेप्टिक शॉक के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

    नतीजतन आरोपों की प्रकृति, अपराध की गंभीरता, सजा की गंभीरता, अभियुक्तों के खिलाफ पेश होने वाले साक्ष्य और पार्टियों के वकील की दलीलों पर विचार करते हुए अदालत ने कहा कि यह जमानत देने के लिए एक उपयुक्त मामला है। इस प्रकार जमानत आवेदन की अनुमति दी गई।

    केस टाइटल - गणेश बनाम यूपी राज्य [CRIMINAL MISC. 2021 की जमानत याचिका संख्या 3162]

    साइटेशन : 2022 LiveLaw (AB) 515

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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