आजिविका के अधिकार का उल्लंघन: लखनऊ में केवल स्थायी निवासियों को ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन की शर्त रद्द
Amir Ahmad
29 Nov 2025 2:53 PM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में नए ई-रिक्शा और ई-ऑटो के रजिस्ट्रेशन को केवल स्थायी निवासियों तक सीमित करने वाले सरकारी आदेश को निरस्त कर दिया। न्यायालय ने इस शर्त को मनमाना बताते हुए कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ग) और 21 के स्पष्ट उल्लंघन के समान है।
जस्टिस शेखर बी. सराफ और जस्टिस बृज राज सिंह की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश की राजधानी होने के कारण लखनऊ राज्य के सभी जिलों और गांवों से लोगों को आजीविका कमाने के लिए आकर्षित करता है। ऐसी स्थिति में केवल स्थायी निवासियों को ही ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन की अनुमति देना लोगों की रोज़ी-रोटी के अवसरों में बाधा डालता है और उनके संवैधानिक अधिकारों पर अनावश्यक अंकुश लगाता है।
न्यायालय यह आदेश फरवरी 2025 में सहायक क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी, प्रशासन, लखनऊ द्वारा जारी निर्देश को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर सुनवाई कर रहा था। विवादित आदेश में दो प्रमुख शर्तें लगाई गई थीं पहली, जिनके नाम पहले से किसी ई-रिक्शा का पंजीकरण है, उन्हें नया रजिस्ट्रेशन न दिया जाए और दूसरी, नए रजिस्ट्रेशन केवल लखनऊ के स्थायी निवासियों को ही दिए जाएं। याचिकाकर्ताओं ने विशेष तौर पर दूसरी शर्त को चुनौती दी थी।
राज्य सरकार की ओर से दलील दी गई कि प्रशासनिक कठिनाइयों और सुरक्षा चिंताओं के चलते यह कदम उठाया गया, क्योंकि लखनऊ में 70 प्रतिशत से अधिक ई-रिक्शा और ई-ऑटो बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के चल रहे हैं और कई वाहन किराये के पते पर पंजीकृत कराए गए। अधिकारियों ने तर्क दिया कि ऐसे मामलों में नोटिस की तामील और कार्रवाई करना मुश्किल हो जाता है।
अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि स्थायी निवास की शर्त लगाने का कोई कानूनी आधार नहीं है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि बिना उचित वर्गीकरण के किया गया ऐसा भेदभाव स्वीकार्य नहीं हो सकता और इसे निरस्त करना न्यायालय का दायित्व है।
खंडपीठ ने कहा कि लखनऊ को एक ऐसा शहर होना चाहिए, जहां विविध जाति, धर्म और सामाजिक वर्गों के लोग आकर काम कर सकें और राजधानी की समृद्धि में सहभागी बनें। अदालत ने यह भी सुझाव दिया कि वाहनों की संख्या नियंत्रित करने के लिए संविधान विरोधी शर्तें लगाने के बजाय अन्य सख़्त उपाय किए जा सकते हैं, जैसे किसी वर्ष में सीमित संख्या में रजिस्ट्रेशन जारी करना या वैध फिटनेस प्रमाणपत्र न होने वाले वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई तेज़ करना।
इन सभी कारणों के आधार पर हाईकोर्ट ने लखनऊ में ई-रिक्शा रजिस्ट्रेशन को केवल स्थायी निवासियों तक सीमित करने वाली शर्त रद्द कर दी।

