"सभी कक्षाओं के छात्रों को भगवत गीता पढ़ायें" मांग करती हुई जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की

SPARSH UPADHYAY

28 Nov 2020 5:32 AM GMT

  • सभी कक्षाओं के छात्रों को भगवत गीता पढ़ायें मांग करती हुई जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की

    इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बुधवार (25 नवंबर) को एक याचिका खारिज कर दी, जिसे "जनहित में" दायर किया गया था, जिसमें यह निर्देश की मांग की गयी थी कि "भगवत गीता को सभी विषयों के साथ, शिक्षा समाज के समग्र हित में छात्रों को पढ़ाया जा सकता है।"

    न्यायमूर्ति पंकज मित्तल और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने रिट याचिका को "पूरी तरह से अस्पष्ट" करार दिया और इस तरह इसे खारिज कर दिया गया।

    जनहित में याचिकाकर्ता ने अदालत से यह मांग की कि "भगवत गीता" को सभी विषयों के साथ छात्रों को (बेसिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक) के लिए एक विषय के रूप में पढ़ाया जा सकता है.

    हालांकि, खंडपीठ ने याचिकाकर्ता (ब्रह्म शंकर शास्त्री), जो व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए थे, से कहा कि यदि वह "भगवत गीता" को इंटरमीडिएट के पाठ्यक्रम में विषयों में से एक के रूप में शामिल करना चाहते हैं तो वे बोर्ड ऑफ हाई स्कूल और इंटरमीडिएट एजुकेशन, उत्तर प्रदेश या किसी अन्य बोर्ड या विश्वविद्यालय से संबंधित उपयुक्त प्राधिकारी से संपर्क कर सकते हैं.

    हाल ही में, गुरुवार (05 नवंबर) को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दायर एक रिट याचिका के विषय में, जिसके अंतर्गत कुछ कानूनों के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए दिशा-निर्देशों के लिए प्रार्थना की गयी थी, कहा था कि याचिका उचित नहीं है और यह "ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसी याचिकाएं केवल लोकप्रियता के लिए दायर की जाती हैं।"

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