इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महिला न्यायाधीश को धमकी देने वाले वकील को माफी मांगने का निर्देश दिया, पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया
LiveLaw News Network
9 April 2022 11:45 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में महिला न्यायाधीश को धमकी देने वाले एक वकील को लिखित माफी मांगने का निर्देश दिया। साथ ही यह वचन देने का भी निर्देश दिया कि वह भविष्य में इस तरह के आचरण को नहीं दोहराएगा। उसके मुवक्किल के लिए भी इसी तरह के निर्देश जारी किए गए।
अधिवक्ता (रमाकांत वर्मा) ने सीपीसी की धारा 80 के तहत बस्ती जजशिप में पीठासीन अधिकारी/महिला न्यायाधीश को इस धमकी के साथ मुआवजे की मांग करते हुए नोटिस जारी करने के लिए कहा कि अगर मुआवजे का भुगतान नहीं किया जाता है तो उनके खिलाफ मुकदमा दायर किया जाएगा।
नोटिस अधिवक्ता द्वारा अपने मुवक्किल (एक राम सांवरे) के कहने पर जारी किया गया था। अदालत ने नोट किया कि वकील का मुवक्किल देहाती ग्रामीण है और अपने वकील की सलाह पर काम कर रहा है।
अब उन दोनों (अवमानना-अधिवक्ता और उनके मुवक्किल) को हाईकोर्ट ने (15 फरवरी, 2022 को) कारण बताओ नोटिस जारी किया गया। कोर्ट ने उनसे जवाब मांगा कि उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही क्यों शुरू नहीं की जा सकती है।
एचसी के नोटिस के अनुसार, उन दोनों पांच अप्रैल, 2022 को जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस उमेश चंद्र शर्मा की बेंच के सामने पेश हुए और बिना शर्त माफी मांगी।
उनकी माफी को ध्यान में रखते हुए अदालत ने अधिवक्ता के आचरण को एक अभ्यास करने वाले अधिवक्ता के लिए अशोभनीय बताया। इसके बाद दोनों अवमाननाकर्ताओं को पीठासीन अधिकारी अंजू कनौजिया, अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, बस्ती के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया। उन्हें लिखित माफी मांगे के लिए कहा कि वे भविष्य में इस तरह के आचरण को नहीं दोहराएंगे।
अदालत ने उन्हें 13 अप्रैल, 2022 को या उससे पहले माफी मांगने का निर्देश दिया।
इसके अलावा, एक उदार दृष्टिकोण लेते हुए प्रथम अवमाननाकर्ता रमाकांत वर्मा, अधिवक्ता पर पांच हजार रूपये का जुर्माना लगाया। जुर्माना की राशि को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, बस्ती में जमा कराने का निर्देश दिया गया।
राशि 20 अप्रैल, 2022 तक जमा करानी होगी। उसकी रसीद की एक प्रति न्यायालय के आदेशानुसार जिला न्यायाधीश बस्ती को जमा करनी होगी।
अदालत ने इस प्रकार निर्देश देते हुए निष्कर्ष निकाला,
"असफल होने पर प्रथम अवमाननाकर्ता रमाकांत वर्मा, अधिवक्ता को अगले छह महीनों के लिए जिला जजशिप, बस्ती के परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। अतिरिक्त प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, बस्ती, के माध्यम से एक अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। प्रधान न्यायाधीश, परिवार न्यायालय, बस्ती के रूप में कि क्या अवमाननाकर्ताओं ने आदेश का पालन किया है। अवमाननाकर्ताओं की उपस्थिति को छूट दी गई है। प्रथम अवमाननाकर्ता रमाकांत वर्मा, अधिवक्ता को न्यायलय, बस्ती के परिसर में प्रवेश नहीं करने पर लगाया गया प्रतिबंध है। हालांकि, यह वर्तमान आदेश के अनुपालन के अधीन होगा।"
इसके बाद मामला को पांच मई, 2022 के लिए पोस्ट कर दिया गया।
केस का शीर्षक - रे वि. रमाकांत वर्मा, अधिवक्ता एवं अन्य
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