गैर-संज्ञेय मामलों की रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकते, अगर उन पर अन्वेषण नहीं हुआ है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

Brij Nandan

20 Dec 2022 9:27 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने स्पष्ट किया कि गैर-संज्ञेय मामलों की रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट आवेदन को अस्वीकार नहीं कर सकते, अगर उन पर अन्वेषण नहीं हुआ है।

    जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा और जस्टिस अजीत सिंह की पीठ ने बासु यादव द्वारा दायर एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह बात कही, जिसने अपने पक्ष में पासपोर्ट जारी करने की मांग करते हुए अदालत का रुख किया था।

    पूरा मामला

    बासु यादव नाम के व्यक्ति ने पासपोर्ट जारी करने के लिए पासपोर्ट अधिकारियों के समक्ष एक आवेदन दिया था। हालांकि, उनके आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि याचिकाकर्ता के खिलाफ एक पुलिस रिपोर्ट थी जिसमें कहा गया था कि असंज्ञेय मामलों के संबंध में रिपोर्टें हैं।

    अदालत के समक्ष, उनके वकील ने तर्क दिया कि सीआरपीसी के अनुसार, अगर एनसीआर के लिए मजिस्ट्रेट के आदेश पर कोई अन्वेषणअग नहीं हुई, तो निश्चित रूप से याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई मामला लंबित नहीं है और इसलिए, पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए उनके आवेदन के अस्वीकृति का आधार नहीं हो सकता है।

    वास्तव में, कोर्ट ने भी यह विचार किया कि जब मजिस्ट्रेट ने किसी भी जांच का आदेश नहीं दिया, तो एनसीआर का संज्ञान नहीं लिया जा सकता है, और इस प्रकार, कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में निर्देश भेजने के लिए कहा।

    अदालत के समक्ष, पुलिस महानिदेशक ने बहुत स्पष्ट रूप से कहा कि गैर-संज्ञेय मामलों की ऐसी रिपोर्टें जिनकी जांच नहीं की गई, याचिकाकर्ता को पासपोर्ट देने से इनकार करने का कारण नहीं हो सकती हैं।

    हाईकोर्ट की टिप्पणियां और आदेश

    याचिकाकर्ता के वकील को सुनने के बाद और डीजीपी द्वारा भेजे गए निर्देशों को पढ़ने के बाद, कोर्ट ने शुरुआत में ही यह पाया कि दर्ज की गई किसी भी गैर-संज्ञेय रिपोर्ट को संज्ञान में नहीं लिया जा सकता है, अगर संबंधित मजिस्ट्रेट द्वारा कोई जांच का आदेश नहीं दिया गया है [ धारा 155 सीआरपीसी]।

    कोर्ट ने आगे कहा कि किसी भी आपराधिक मामले के लंबित रहने के दौरान भी, सरकार के आदेश दिनांक 25.8.1993 के अनुसार पासपोर्ट जारी/नवीनीकृत किया जा सकता है, अगर कोर्ट उस उद्देश्य के लिए आदेश पारित करता है।

    नतीजतन, अदालत ने क्षेत्रीय पासपोर्ट अधिकारी को दो सप्ताह के भीतर पासपोर्ट जारी करने के लिए याचिकाकर्ता के आवेदन पर विचार करने का निर्देश दिया।

    गौरतलब है कि कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि पासपोर्ट अधिनियम की धारा 6(2)(एफ) के तहत पासपोर्ट आवेदनों को सीधे तौर पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए, अगर अदालत के आदेश जहां आपराधिक मामला लंबित है, सरकारी आदेश दिनांकित 25.8.1993 के अनुसार पारित किया गया है। पुलिस महानिदेशक को इस संबंध में अधिसूचना जारी करने को कहा गया है।

    कोर्ट ने देखा कि कई मामलों में असंज्ञेय मामलों की रिपोर्ट के आधार पर पासपोर्ट के आवेदन को अस्वीकार किया गया है, जहां मजिस्ट्रेट ने जांच के लिए आदेश भी नहीं दिया था।

    कोर्ट ने पुलिस महानिदेशक को निर्देश दिया कि असंज्ञेय मामलों में रिपोर्ट लंबित होने के संबंध में अपने अधिकारियों को उपयुक्त और समुचित विचार-विमर्श के बाद एक रिपोर्ट देनी चाहिए।

    इन निर्देशों के साथ, अदालत ने रिट याचिका को स्वीकार कर लिया।

    केस टाइटल - बासु यादव बनाम भारत सरकार और 4 अन्य [WRIT - C No. - 29605 of 2022]

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 534

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:



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