इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत को गुमराह करने वाले वकील के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू की

Sharafat

9 Feb 2023 2:36 PM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अदालत को गुमराह करने वाले वकील के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू की

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपने अनुकूल ज़मानत आदेश प्राप्त करने के लिए अदालत को गुमराह करने वाले एक वकील के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही शुरू की।

    जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की पीठ ने एडवोकेट परमानंद गुप्ता के खिलाफ यह आदेश यह देखने के बाद पारित किया कि वकील ने अदालत से यह तथ्य छुपाते हुए ज़मानत का अनुकूल आदेश प्राप्त किया कि उनके मुवक्किल की अदालत की एक अन्य पीठ द्वारा पहले एक और जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी।

    न्यायालय ने यह भी कहा कि यह एक अकेला मामला है, जहां परमानंद गुप्ता ने अदालत से तथ्य छुपाने और अदालत को गुमराह करने की उक्त कार्रवाई अपनाई।

    कोर्ट ने इसके साथ ही जमानत रद्द करने की मांग वाली राज्य की याचिका को स्वीकार कर लिया और आरोपी को हिरासत में लेने का आदेश दिया।

    विचाराधीन वकील ने अपने मुवक्किल (आरोपी) की ओर से आईपीसी की धारा 379, 411, 412, 413, 414, 419, 420, 467, 468, 471, 484 और 120-बी के तहत दर्ज अपराध में जमानत याचिका दायर की।

    वकील ने हालांकि इस बात का जिक्र नहीं किया कि पहले उनके मुवक्किल की एक जमानत याचिका पहले ही खारिज हो चुकी है और वास्तव में यह उनकी दूसरी जमानत याचिका थी। जब दूसरी ज़मानत अर्जी स्वीकार की गई तो राज्य ने इस आधार पर ज़मानत रद्द करने की मांग करते हुए हाईकोर्ट का रुख किया कि पहली ज़मानत खारिज करने के तथ्य को वकील के साथ-साथ आरोपी ने भी छुपाया।

    न्यायालय ने मामले के पूरे तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस प्रकार कहा,

    " परमानंद गुप्ता, एडवोकेट, ने प्रथम दृष्टया, बार काउंसिल के नियमों, पेशेवर नैतिकता, अवमाननापूर्ण तरीके के खिलाफ खुद को संचालित किया है और उन्होंने अदालत के साथ धोखाधड़ी की है और इस खंडपीठ द्वारा प्रथम जमानत याचिका खारिज करने के संबंध में तथ्य, मामले की सामग्री को छुपाकर अदालत को गुमराह करके न्याय में हस्तक्षेप भी किया है। न्यायालय ने नोट किया कि यह एकमात्र मामला नहीं है जहां परमानंद गुप्ता, एडवोकेट ने अदालत से तथ्य छुपाने और गुमराह करने की कार्रवाई के उक्त तरीके को अपनाया।"

    इसके साथ ही एडवोकेट के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए आपराधिक अवमानना ​​की कार्यवाही करने का निर्देश दिया गया और राज्य की जमानत रद्द करने की याचिका को स्वीकार कर लिया।


    केस टाइटल - अतिरिक्त। मुख्य सचिव विभाग गृह, सिविल सचिवालय के माध्यम से उप्र राज्य बनाम मो. रिजवान @ रजीवान [आपराधिक विविध आवेदन नंबर- 114/2022

    साइटेशन : 2023 लाइवलॉ (एबी) 54

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