फंसे हुए मज़दूरों को क्या सुविधाएं मुहैया करवाई जा रही हैं, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने स्टेटस रिपोर्ट मांगी
LiveLaw News Network
25 May 2020 7:36 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को राज्य सरकार से इस बात का ब्योरा देने को कहा कि वह उन मज़दूरों को क्या सुविधा उपलब्ध करवा रही है जो सैकड़ों मील चलकर अपने राज्य उत्तर प्रदेश पहुँच रहे हैं।
राज्य में जो मज़दूर फंसे हुए हैं उनके बारे में भी राज्य सरकार से स्थिति रिपोर्ट मांगी गई है।
न्यायमूर्ति अनिल कुमार और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह आदेश दिया कि
"प्रतिवादी के वक़ील को हम यह निर्देश देते हैं कि वह मामले की अगली सुनवाई के समय तक एक हलफनाम दायर कर यह बताएं कि वह उन श्रमिकों को क्या सुविधाएं दे रही है जो उत्तर प्रदेश स्थित अपने घर जाना चाहते हैं, इनमें से कुछ रास्ते में हैं और कुछ उत्तर प्रदेश में फंसे हुए हैं।"
याचिकाकर्ता दिलीप कुमार मिश्रा ने अदालत से केंद्र और राज्य सरकारों को यह निर्देश देने का आग्रह किया है कि वह यह सुनिश्चित करे कि जो मज़दूर सड़कों पर चल रहे हैं वे भूखे न रहें और उनको भोजन, पानी और दवा और चिकित्सा सुविधा के साथ साथ उन्हें अपने गांव तक मुफ़्त में पहुंचाया जाए।
इस जनहित याचिका का विरोध करते हुए एएसजी एसबी पांडेय ने कहा कि प्रवासी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश और फंसे हुए श्रमिकों के बारे में भारत सरकार द्वारा घोषित स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोटकॉल (एसओपी) के अनुरूप सरकार पहले से ही कई क़दम उठा रही है।
उन्होंने 5 मई 2020 को जगदीप एस छोकर बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया कि केंद्र और राज्य सरकारें श्रमिकों का ख़याल रखने के लिए सभी ज़रूरी कदम उठा रही है।
इस संदर्भ में हर्ष मंदर एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य मामले का हवाला भी दिया गया कि देश बहुत ही अस्वाभाविक समय से गुजर रहा है और इससे जुड़े लोग उनके लिए जो भी सबसे अच्छा है वह कर रहे हैं।
इस तरह एएसजी ने अदालत को आश्वासन दिया कि एमएचए के दिशानिर्देश और शीर्ष अदालत के आदेश पर उत्तर प्रदेश पूरी तरह अमल करेगा।
अदालत ने स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए राज्य सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है।