इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में प्राइवेट सर्वेयर द्वारा बनाए गए चंद्रशेखर आज़ाद पार्क का ले आउट प्लान खारिज किया, राज्य को नई योजना तैयार करने का आदेश दिया

Shahadat

17 Aug 2022 10:19 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में प्राइवेट सर्वेयर द्वारा बनाए गए चंद्रशेखर आज़ाद पार्क का ले आउट प्लान खारिज किया, राज्य को नई योजना तैयार करने का आदेश दिया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को प्रयागराज जिले में प्रायवेट लैंड सर्वेयर प्रोजेक्ट कंसल्टिंग इंजीनियर द्वारा बनाए गए अमर चंद्रशेखर आजाद पार्क की ले आउट प्लान खारिज कर दी। कोर्ट ने राज्य सरकार को नई लेआउट योजना के साथ आने का निर्देश दिया।

    [नोट: यह पार्क (अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित एतिहासिक महत्व रखता है। वर्ष 1931 में महान क्रांतिकारी और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रदूत शहीद भगत सिंह के सहयोगी चंद्रशेखर आजाद को अंग्रेजों द्वारा इसी पार्क में बेरहमी से मार दिया गया था।]

    चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जे जे मुनीर की पीठ ने प्राइवेट लैंड सर्वेयर द्वारा तैयार किए गए ले आउट प्लान में कुछ विसंगतियां पाईं। कोर्ट ने राज्य के वकील से पूछा कि प्राइवेट सर्वेयर क्यों नियुक्त किया गया। हालांकि, वह अदालत के समक्ष स्पष्टीकरण नहीं दे सके।

    कोर्ट ने टिप्पणी की,

    "जिस तरह से प्लान तैयार की गई है वह आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती। जाहिर है कि उसे ले आउट प्लान तैयार करने और किंवदंतियों को दिखाने की प्रक्रिया के बारे में पता नहीं है ... यहां तक ​​​​कि अदालत में पेश की गई प्लान के अनुसार, बहुत कुछ चंद्रशेखर आजाद पार्क की तरह नज़र आता है, जिसे पहले अल्फ्रेड पार्क और कंपनी गार्डन के नाम से जाना जाता था। बाद में विभिन्न स्थानों पर मौजूद निर्माणों का कोई स्पष्टीकरण उपलब्ध नहीं है। जिस स्थान पर शहीद चंद्रशेखर आजाद ने अपने प्राण त्यागे, वह स्थान भी प्लान में भी इंगित नहीं किया गया।

    नतीजतन, कोर्ट ने राज्य सरकार को एक सितंबर (सुनवाई की अगली तारीख) पर क्षेत्र के लिए नई योजना के साथ आने का आदेश दिया।

    गौरतलब है कि इससे पहले 13 जुलाई, 2022 को हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कोर्ट के सामने चंद्रशेखर आजाद पार्क का पूरा ले आउट प्लान पेश करे, जिसमें पार्क में अभी भी मौजूद निर्माण और क्षेत्र के विकास को दिखाया जाए।

    कोर्ट ने वर्तमान दायर याचिका में यह आदेश दिया। इसमें आरोप लगाया गया कि पिछले कुछ वर्षों से मुस्लिम समुदाय के सदस्य अपने धार्मिक उद्देश्यों के लिए जमीन पर कब्जा करने के अपने सामान्य तरीके से पार्क के पार्किंग क्षेत्र के भीतर मस्जिद बनाने की कोशिश कर रहे हैं और कट्टरपंथियों और वक्फ बोर्ड के संरक्षण में कुछ कृत्रिम मजार (कब्रिस्तान) बनाए गए हैं।

    इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार को कोर्ट ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क के क्षेत्र में बने या बनाए गए कब्रों, मजारों या मस्जिद सहित सभी अतिक्रमणों को हटाने के लिए कहा था।

    अब मंगलवार को प्राइवेट लैंड सर्वेयर द्वारा तैयार किए गए ले आउट प्लान से असंतुष्ट न्यायालय ने वर्तमान जनहित याचिका में न्यायालय की सहायता करने वाले वकीलों से कुछ खोज करने के लिए भी कहा कि क्या इलाहाबाद में स्वतंत्रता संग्राम पर कोई पीएचडी उपाधि दी गई है।

    इसके अलावा, न्यायालय की सहायता करने वाले वकील ताहिर हुसैन फारूकी ने बताया कि विभिन्न समाचार पत्रों में नियमित समाचार प्रकाशित होते हैं, जिनमें कुछ अंग्रेजी गजेटियर के संदर्भ में उल्लेख किया गया है कि कर्नल नील ने तीन घंटे चालीस मिनट में लगभग 640 मेवातियों को फांसी दी थी और कुल मिलाकर 6,746 लोगों में से मारे गए थे।

    इस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने रजिस्ट्रार जनरल को संबंधित गजेटियर की प्रतियां प्राप्त करने के लिए नैनीताल में सार्वजनिक पुस्तकालय इलाहाबाद, सरकारी संग्रहालय और सार्वजनिक पुस्तकालय के साथ समन्वय करने को कहा।

    केस टाइटल- जितेंद्र सिंह विशन और एक अन्य बनाम यू.पी. राज्य और 9 अन्य

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