इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व सांसद जयाप्रदा के खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट रद्द किया
LiveLaw News Network
3 July 2020 3:42 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश, रामपुर द्वारा पूर्व सांसद जयाप्रदा के खिलाफ 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान उनके राजनीतिक विरोधियों पर अपमानजनक टिप्पणी करने के आरोप में जारी गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) को रद्द कर दिया।
न्यायमूर्ति ओम प्रकाश VII की एकल पीठ ने देखा कि पूर्व सांसद जयाप्रदा के खिलाफ दर्ज अपराध गैर-संज्ञेय थे। पीठ ने कहा,
"वर्तमान मामले में यह विवादित नहीं है कि आरोप पत्र धारा 171-जी आईपीसी के तहत प्रस्तुत किया गया था। Cr.PC के साथ संलग्न अनुसूची स्पष्ट रूप से बताती है कि अपराध गैर संज्ञेय है। ट्रायल कोर्ट ने मामले में शिकायत के मामले के साथ आगे बढ़ना चाहिए था। "
तदनुसार, इस मामले पर कानून के अनुसार नए सिरे से आदेश पारित करने के लिए इसे अदालत में वापस भेज दिया गया।
जयाप्रदा के खिलाफ समाज वादी पार्टी के नेता अब्दुल्ला आजम खान के खिलाफ 'एक्स-रे जैसी आंखें' टिप्पणी करने के लिए एनसीआर दर्ज की गई थी। जांच अधिकारी ने धारा 171-जी आईपीसी (चुनाव के संबंध में गलत बयान) के तहत अपराध के लिए आरोप पत्र प्रस्तुत किया, जिसके बाद फरवरी, 2020 में एएसजे अदालत ने जयाप्रदा के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया था।
जयाप्रदा ने सीआरपीसी की धारा 482 के तहत हाईकोर्ट का रुख किया था, जिसमें संपूर्ण आपराधिक कार्यवाही के साथ-साथ गैर-जमानती वारंट को भी रद्द करने की मांग की गई थी।
जयाप्रदा के वकील नीरज श्रीवास्तव ने कहा था कि धारा 171-जी आईपीसी के तहत अपराध के लिए प्रदान की गई सजा और सीआरपीसी की अनुसूची में बताए गए अपराध की प्रकृति के अनुसार, अपराध गैर-संज्ञेय है और मामले में सीधे संज्ञान नहीं लिया जा सकता।
मामले में आंशिक राहत देते हुए हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से नए आदेश पारित करने को कहा है।
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