इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पुलिस अधिकारियों पर हमले करने का नारा लगाने वाले वकीलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए, कोर्ट ने तलब किया

Brij Nandan

23 Dec 2022 7:01 AM GMT

  • इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट

    इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गुरुवार को कुछ वकीलों के खिलाफ जांच के आदेश दिए जिन्होंने कोर्ट रूम के बाहर, महिला अधिकारियों सहित पुलिस अधिकारियों पर हमला करने के लिए नारे लगाए, जिन्हें कोट ने एक आपराधिक रिट याचिका के संबंध में तलब किया था।

    जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस सैयद वाइज मियां की खंडपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में जांच करें और अनियंत्रित वकीलों की पहचान करते हुए एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें।

    कोर्ट ने आदेश दिया कि मामले को एक अलग मामले के रूप में पंजीकृत किया जाएगा।

    अदालत एक कमला सिंह की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पुलिस द्वारा की जा रही अनुचित जांच के आधार पर मामले को ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। अदालत के 20 दिसंबर के आदेश के अनुसार गुरुवार को संबंधित पुलिस अधिकारी (पुलिस आयुक्त सहित) पीठ के समक्ष उपस्थित हुए।

    कोर्ट ने देखा कि जांच पहले ही अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दी गई है। अदालत ने एक संक्षिप्त आदेश पारित किया जिसमें अपराध शाखा के जांच अधिकारी को किसी भी पक्ष के दबाव के बिना निष्पक्ष रूप से जांच करने और शीघ्रता से जांच को समाप्त करने के लिए कहा गया।

    हालांकि, आदेश पारित करने के बाद, याचिकाकर्ता- वकील ने बार के सदस्यों को अदालत द्वारा बुलाए गए अधिकारियों पर हमला करने के लिए उकसाया।

    हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि वकीलों की एक बड़ी भीड़ अदालत में और बड़ी संख्या में अदालत के बाहर बरामदे और सीढ़ियों पर इकट्ठी हुई और अधिकारियों पर हमला करने के नारे लगाए।

    दरअसल, बिगड़ते हालात को देखते हुए महिला अधिकारी सहित अधिकारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अदालत को उठना पड़ा और उन्हें न्यायाधीशों के गलियारे से न्यायाधीशों के एंट्री गेट और लिफ्ट से जाना पड़ा।

    कोर्ट को आगे बताया गया कि गेट नंबर 1 की ओर वकीलों द्वारा अधिकारियों का पीछा किया गया और उन पर हमला किया गया। इसे देखते हुए, बार के सदस्यों के हंगामे को न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने के समान मानते हुए, कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल द्वारा मामले की जांच का निर्देश दिया ताकि अनियंत्रित वकीलों की पहचान की जा सके।

    अदालत ने कहा,

    "वकीलों के आचरण के संबंध में, ऐसा प्रतीत होता है कि अदालत की कार्यवाही को खराब करने के लिए ऐसा किया गया था।"

    इन परिस्थितियों में, कोर्ट जांच की निगरानी करने के लिए इच्छुक नहीं था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास मजिस्ट्रेट के समक्ष एक उपाय है और इसके साथ ही रिट याचिका को निष्फल बताते हुए खारिज कर दिया।

    केस टाइटल - कमला सिंह बनाम यूपी राज्य और 3 अन्य

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (एबी) 536

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें:





    Next Story