"बच्चे के पिता को मिलने का अधिकार": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां के साथ रह रहे बच्चे से पिता को मिलने की अनुमति देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया

LiveLaw News Network

10 April 2022 7:15 AM GMT

  • बच्चे के पिता को मिलने का अधिकार: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मां के साथ रह रहे बच्चे से पिता को मिलने की अनुमति देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका का निपटारा किया

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वर्तमान में अपनी मां के साथ रह रहे अपने बेटे से मिलने के अधिकार की मांग कर रहे पिता द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि पिता अपने बच्चे से मिलने के लिए मुलाक़ात के अधिकार का हकदार है।

    बच्चा वर्तमान में आपसी सहमति के आधार पर तय किए गए तलाक के मुकदमे में पति और पत्नी के बीच हुए आपसी समझौते के अनुसार अपनी मां के साथ रह रहा है। समझौते में यह सहमति हुई कि कॉर्पस/बच्चा अपनी मां के साथ रहेगा। हालांकि, पिता/पुरुष ने यह आरोप लगाते हुए अदालत का रुख किया कि उन्हें बच्चे से मिलने नहीं दिया जा रहा है।

    जस्टिस अनिल कुमार ओझा की खंडपीठ ने यशिता साहू बनाम राजस्थान राज्य और अन्य 2020 (3) एससीसी 67 के मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ध्यान में रखते हुए कहा कि चूंकि बच्चा याचिकाकर्ता अभिनय जैन और प्रतिवादी नंबर दो मेघा जैन के विवाह से पैदा हुआ है, इसलिए याचिकाकर्ता कॉर्पस का पिता होने के नाते मुलाक़ात का हकदार है।

    उल्लेखनीय है कि यशिता साहू (सुप्रा) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया कि यदि बच्चा किसी अन्य माता-पिता की कस्टडी में है तो बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट सुनवाई योग्य नहीं है। यह माना गया कि अदालत बच्चे के सर्वोत्तम हित के लिए अपने असाधारण रिट अधिकार क्षेत्र का उपयोग कर सकती है।

    मामले के उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को निम्नलिखित प्रकार से मुलाक़ात के अधिकार दिए:

    (1) याचिकाकर्ता को प्रतिवादी नंबर दो/मां के आवास पर हर महीने एक बार अपने बेटे से मिलने का अधिकार दिया जाता है, शुरुआत महीने के पहले रविवार को दो घंटे के लिए 11:00 पूर्वाह्न से 01:00 बजे तक।

    (2) याचिकाकर्ता को होली और दिवाली के त्योहार पर अपने बेटे यानी प्रतिवादी नंबर तीन से मिलने के लिए भी मुलाकात का अधिकार दिया जाता है, त्योहार के ठीक पहले के दिन प्रतिवादी नंर दो/पत्नी के निवास पर दो घंटे के लिए।

    (3) याचिकाकर्ता और प्रतिवादी नंबर दो/पत्नी के आवास पर किसी भी तरह से कोई अशांति पैदा नहीं करेंगे।

    उपरोक्त निर्देशों के साथ बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट याचिका का निपटारा किया गया।

    केस टाइटल - अभिनय जैन बनाम स्टेट ऑफ यू.पी. और दो अन्य

    केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ (सभी) 167

    ऑर्डर डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



    Next Story