गैंगस्टर विकास दुबे के कथित एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग करने वाली याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज की
LiveLaw News Network
14 July 2020 1:06 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने सोमवार को कानपुर गैंगस्टर विकास दुबे की कथित मुठभेड़ की न्यायिक जांच की मांग वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि यूपी सरकार ने पहले ही उस दिशा में कदम उठा लिया है।
जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की पीठ ने कहा,
"इस तथ्य पर विचार करते हुए कि यूपी राज्य द्वारा विशेष जांच दल और न्यायिक आयोग का गठन पहले ही कर लिया गया है, ताकि प्रश्न में कथित घटना की जांच हो सके, हम वर्तमान रिट याचिका को खारिज करते हैं।"
उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को गैंगस्टर विकास दुबे द्वारा की गई आपराधिक गतिविधियों और अधिकारियों द्वारा उस पर कानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए उठाए गए कदमों की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है।
सरकार ने जांच आयोग अधिनियम 1952 की धारा 3 के तहत एक सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया, जिसमें इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति शशिकांत अग्रवाल शामिल हैं।
अतिरिक्त महाधिवक्ता वीके साही द्वारा इसके बारे में सूचित किए जाने पर, अदालत ने कहा कि याचिका को "उल्लंघनकारी" करार दिया।
पीयूसीएल और अन्य बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य 2014) 10 SCC 635 मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय किए गए दिशा निर्देशों के अनुसार कथित मुठभेड़ की जांच के लिए हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में न्यायिक आयोग के गठन के लिए दिशा निर्देश मांगने के लिए उच्च न्यायालय की एडवोकेट नंदिता भारती द्वारा याचिका दायर की गई थी।
उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन की सुरक्षा और स्वतंत्रता की गारंटी के लिए उचित दिशा-निर्देश, योजना बनाने और मुठभेड़ों को अंजाम देने के लिए यूपी सरकार के खिलाफ दिशा-निर्देश की भी मांग की थी।
हत्या के आरोप सहित 60 से अधिक आपराधिक मामले दुबे के खिलाफ लंबित थे, जिसे शुक्रवार सुबह पुलिस मुठभेड़ में कथित रूप से मार दिया गया। इस घटना ने पुलिस / गैंगस्टर के साथ राजनीतिक भागीदारी के आसपास एक बड़ी बहस को जन्म दिया है और कई अभ्यावेदन सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सामने रखे गए हैं और न्यायिक जांच की मांग की गई है।
विकास दुबे के साथ "मिलीभगत" के आरोप में गिरफ्तार किए गए पुलिस अधिकारियों में से एक पुलिस अधिकारी ने यूपी पुलिस से अपनी जान की सुरक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है।
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