इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले ढांचे की प्रकृति का पता लगाने के लिए पैनल के गठन की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की
Brij Nandan
20 July 2022 8:09 AM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Mosque) के अंदर मिले ढांचे की प्रकृति का पता लगाने के लिए हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट (वर्तमान/ सेवानिवृत्त) के जज की अध्यक्षता में समिति/पैनल के गठन की मांग वाली जनहित याचिका खारिज की।
जनहित याचिका में पैनल को यह पता लगाने के लिए निर्देश देने की भी मांग की गई थी कि क्या हिंदुओं द्वारा दावा किया गया शिव लिंग मस्जिद के अंदर पाया गया है या यह एक फव्वारा है जैसा कि कुछ मुसलमानों द्वारा दावा किया जा रहा है।
याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा कि याचिका केवल प्रचार हासिल करने के लिए दायर की गई थी और इसलिए, इस तरह की याचिका को प्रवेश के चरण में खारिज कर दिया जाना चाहिए।
यह रिट याचिका वाराणसी के पांच निवासियों सुधीर सिंह, बाबा बालक दास, शिवेंद्र प्रताप सिंह, मार्कंडे तिवारी और राजन राय और और लखनऊ में हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले दो एडवोकेट रवि मिश्रा और एडवोकेट अतुल कुमार की ओर से एडवोकेट अशोक पांडे की तरफ से दायर की गई थी
कोर्ट की टिप्पणियां
शुरुआत में, कोर्ट ने नोट किया कि ज्ञानवापी परिसर, वाराणसी में मौजूद संरचनाओं के संबंध में वाराणसी में सिविल कोर्ट में कई मुकदमे लंबित हैं और इसलिए, उसी विषय से संबंधित वर्तमान रिट याचिका हाईकोर्ट द्वारा विचार करने के लिए उत्तरदायी नहीं है।
कोर्ट ने यह टिप्पणी सरकारी वकील द्वारा हाईकोर्ट को सूचित करते हुए प्रस्तुत करने के मद्देनजर की है कि ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के संबंध में वाराणसी में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में कम से कम 5 नियमित मुकदमे दायर किए गए हैं।
इसके अलावा, कोर्ट ने कहा कि कथित तौर पर एक शिवलिंग को कोर्ट द्वारा नियुक्त कमिश्नर द्वारा साइट के स्थानीय निरीक्षण के दौरान पाया गया था। हालांकि, जब यह दावा दूसरे पक्ष द्वारा विवादित किया गया, तब सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि पूर्वोक्त मुकदमे की सुनवाई और वाद में सभी अंतर्वर्ती और सहायक कार्यवाही के लिए दीवानी वाद को जिला न्यायाधीश, वाराणसी के न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए।
याचिका पर विचार करने से इनकार करते हुए कोर्ट ने कहा,
"उपरोक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि याचिकाकर्ताओं की ओर से विषय वस्तु के संबंध में राहत की मांग करते हुए एक जनहित याचिका दायर करके हाईकोर्ट के अधिकार क्षेत्र को लागू करना उचित नहीं है, जो पहले से ही है। उक्त कारण से, हम रिट याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं।"
कोर्ट ने यह भी माना कि लखनऊ में स्थित कोर्ट को वाराणसी में स्थित विषय वस्तु के संबंध में लखनऊ में दायर रिट याचिका पर विचार करने का कोई क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र नहीं है क्योंकि यह अवध क्षेत्र के अंतर्गत नहीं आता है।
अंत में, कोर्ट ने यह भी जोर दिया कि रिट याचिका किसी भी मौलिक अधिकार या बड़े पैमाने पर जनता के किसी भी वैधानिक अधिकार के उल्लंघन के आधार पर दायर नहीं की गई, जो एक रिट याचिका जारी करने का वारंट हो सकता है।
इसके साथ ही रिट याचिका खारिज कर दी गई।
केस टाइटल - सुधीर सिंह एंड 6 अन्य बनाम भारत संघ इसके कैबिनेट सचिव के माध्यम से साउथ ब्लॉक नई दिल्ली और 3 अन्य [जनहित याचिका (पीआईएल) संख्या – 350 ऑफ 2022]
केस साइटेशन: 2022 लाइव लॉ 328