इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ डीएम के नेतृत्व वाली समिति को आवासीय क्षेत्रों में चल रहे स्कूलों का निरीक्षण करने का निर्देश दिया

LiveLaw News Network

1 April 2022 11:48 AM IST

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    इलाहाबाद हाईकोर्ट


    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ के रिहायशी इलाकों में संचालित हो रहे स्कूलों के सुरक्षा मानकों और संबंधित नियम-कायदों के उल्लंघन के मामले पर सख्त रुख अपनाते हुए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक कमेटी को इस संबंध में निरीक्षण करने और रिपोर्ट जमा करने का निर्देश दिया।

    चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस आलोक माथुर की पीठ ने डीएम के नेतृत्व वाली समिति को राजधानी में ऐसे 16 स्कूलों का निरीक्षण करने और 18 अप्रैल को इस संबंध में एक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया।

    पीठ गोमती नदी बैंक के निवासियों द्वारा सचिव गिरधर गोपाल के माध्यम से दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इसमें शहर के आवासीय क्षेत्रों में मानदंडों के उल्लंघन में चल रहे स्कूलों का मुद्दा विशेष रूप से उठाया गया।

    याचिका में 16 ऐसे स्कूलों के नाम प्रस्तुत किए गए जो कथित तौर पर मानदंडों के विपरीत चल रहे हैं और इन 16 स्कूलों में से एक स्कूल [लखनऊ पब्लिक कॉलेजिएट, जोपलिंग रोड, बटलर कॉलोनी, लखनऊ] का नाम विशेष रूप से सरकार द्वारा संदर्भित किया गया। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह पिछले 2-3 वर्षों से किसी भी प्राधिकरण की अनुमति के बिना एक अस्थायी टिन-शेड में चल रहा है।

    आगे निवेदन किया गया कि वर्तमान में वहां लगभग 400 विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं, जो विद्यालय चलाने के लिए निर्धारित मानकों का उल्लंघन है। याचिकाकर्ता ने अपने दावे की पुष्टि करने के लिए इस स्कूल का उदाहरण दिया कि याचिका में नामित अन्य स्कूल भी इस उद्देश्य के लिए निर्धारित विभिन्न मानकों के उल्लंघन में चल रहे हैं।

    इस पृष्ठभूमि के खिलाफ अदालत ने कहा कि राज्य का यह कर्तव्य है कि वह न केवल ऐसे स्कूलों की गतिविधियों की निगरानी करे बल्कि यह भी सुनिश्चित करे कि ये स्कूल उनके कामकाज के संबंध में बनाए गए वांछित दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए चल रहे हैं।

    इसलिए, अदालत ने अब ऐसे स्कूलों के निरीक्षण के बाद एक रिपोर्ट मांगी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि ये स्कूल संबंधित दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं या नहीं।

    तदनुसार, न्यायालय ने निरीक्षण करने के लिए एक समिति के गठन का निर्देश दिया और इस तथ्य के बारे में अदालत को एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कि क्या ये स्कूल वहां पढ़ने वाले छात्रों की संख्या के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं, जिसके लिए विस्तृत जानकारी दी गई है। अविनाश मेहरोत्रा ​​बनाम भारत संघ और अन्य, (2009)6 एससीसी 398 मामले और अन्य नियामक निकायों द्वारा निर्धारित अन्य मापदंडों में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लेख किया गया।

    उल्लेखनीय है कि अविनाश मेहत्रोत्रा ​​के मामले (सुप्रा) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भारत के राष्ट्रीय भवन संहिता, 2005 के संदर्भ में स्कूलों द्वारा पालन किए जाने वाले कुछ मानकों को निर्धारित किया था।

    इसके अलावा, जिला मजिस्ट्रेट, लखनऊ की अध्यक्षता वाली समिति में वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे, जो केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, भारतीय माध्यमिक शिक्षा प्रमाण पत्र, उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा विभाग, राज्य आपदा प्रबंधन विभाग, लोक निर्माण विभाग, उ.प्र., शिक्षा विभाग, उ.प्र., लखनऊ विकास प्राधिकरण एवं पुलिस विभाग, उ.प्र. से दिशा-निर्देशों और आवश्यक मापदंडों से अच्छी तरह वाकिफ हैं।

    अदालत ने निर्देश दिया,

    "चूंकि मामले में छात्रों की सुरक्षा और उन्हें दी जा रही शिक्षा की गुणवत्ता को देखते हुए तत्काल विचार की आवश्यकता है। हम उम्मीद करते हैं कि निरीक्षण यथासंभव शीघ्रता से किया जाएगा और सुनवाई की अगली तारीख पर इस पर रिपोर्ट इस न्यायालय को प्रस्तुत की जाएगी।"

    मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।

    प्रकरण का शीर्षक - सचिव गिरधर गोपाल बनाम उत्तर प्रदेश राज्य के माध्यम से गोमती नदी तट निवासी प्रमुख सचिव, आवास एवं शहरी विकास एवं अन्य के माध्यम से

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