"धार्मिक टैटू हटाने पर उम्मीदवारी पर विचार करें": इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एसएसबी परीक्षा के उम्मीदवारों को राहत दी
LiveLaw News Network
9 March 2022 3:00 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2018 सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने वाले तीन उम्मीदवारों को राहत प्रदान की। उक्त उम्मीदवारों को हाथों (अंगूठे) के एक निश्चित हिस्से पर कुछ टैटू होने के कारण नौकरी से वंचित कर दिया था। इस संबंध में हाईकोर्ट ने अगर अपना टैटू हटाते हैं तो उनकी उम्मीदवारी केंद्र सरकार को इस पर विचार करने का निर्देश दिया।
जस्टिस सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ ने केंद्र और एसएसबी को निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं के टैटू हटा दिए जाते हैं तो उस विशेष विकलांगता को मंत्री पदों पर चयन के लिए बाधा नहीं माना जा सकता है जिसके लिए याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया।
संक्षेप में मामला
याचिकाकर्ता अवनीश कुमार और दो अन्य सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) में हेड कांस्टेबल (मंत्रिस्तरीय) के पद के लिए परीक्षा में शामिल हुए [जुलाई 2018 में अधिसूचित]। याचिकाकर्ताओं को मई 2021 में घोषित परिणाम में सफल घोषित किया गया। याचिकाकर्ता अपने टाइपिंग टेस्ट के लिए उपस्थित हुए और उन्हें 17 सितंबर, 2021 को टाइपिंग टेस्ट में भी सफल घोषित किया गया।
इसके अलावा, जब 13 नवंबर, 2021 को उनकी चिकित्सा जांच की गई तो वे फिजिकल रूप से फिट पाए गए, लेकिन उनके हाथों के एक निश्चित हिस्से पर कुछ टैटू के कारण उन्हें नौकरी से वंचित कर दिया।
याचिकाकर्ताओं का समीक्षा मेडिकल टेस्ट 17.11.2021 को किया गया और कथित तौर पर उन्हें अपने दाहिने हाथ के अग्रभाग पर टैटू को ठीक करने का अवसर दिए बिना उन्हें टैटू के आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया।
इसके अलावा, टैटू हटाने के बाद उन्होंने प्रतिवादियों के समक्ष अभ्यावेदन दिया। हालांकि, आज तक प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ताओं के प्रतिनिधित्व पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसलिए, उन्होंने हाईकोर्ट के समक्ष वर्तमान याचिका दायर की।
याचिकाकर्ता नंबर एक अवनीश कुमार को इस तथ्य के कारण अनफिट घोषित कर दिया गया कि उनके दाहिने हाथ पर टैटू का निशान है। याचिकाकर्ता नंबर दो मोहित कुमार को भी इस तथ्य के कारण अनफिट घोषित कर दिया गया कि उनके दाहिने हाथ के अग्रभाग पर टैटू का निशान था।
याचिकाकर्ता नंबर तीन गौरव कुमार को उनके दाहिने अग्रभाग पर टैटू के निशान के लिए अयोग्य घोषित किया गया। यह भी एक कारण है कि उनके पिछले कंधे पर व्यापक टेनिया वर्सिकलर था।
प्रस्तुतियां
याचिकाकर्ताओं के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं ने प्रार्थना की कि यदि एक अवसर प्रदान किया जाता है तो वे टैटू हटा देंगे। उसके बाद याचिकाकर्ताओं का मेडिकल टेस्ट फिर से किया जा सकता है।
उन्होंने नवंबर, 2013 में सर्विस बेंच नंबर 1129 (विहान नगर बनाम भारत संघ और अन्य) में पारित इस न्यायालय के एक फैसले पर भी भरोसा किया। इसमें यह आदेश दिया गया कि यदि टैटू हटा दिए गए तो एक समीक्षा चिकित्सा हमेशा हो सकती है। इसमें याचिकाकर्ता चयन के लिए उपयुक्त पाए जा सकते हैं।
इसके जवाब में भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने प्रस्तुत किया कि जहां तक टैटू हटाने का संबंध है, प्रतिवादी हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले से बाध्य होंगे। हालांकि, उन्होंने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता नंबर दो और तीन जिन लोगों के कंधे पर मायोपिया और व्यापक टेनिया वर्सिकलर भी है।
कोर्ट का आदेश
ऐसी परिस्थितियों में न्यायालय ने एक निर्देश जारी किया कि यदि याचिकाकर्ताओं के टैटू हटा दिए जाते हैं तो उस विशेष विकलांगता को मंत्री पदों पर चयन के लिए बाधा नहीं माना जा सकता। इसके लिए याचिकाकर्ताओं ने आवेदन किया।
कोर्ट ने आगे कहा,
"हालांकि, अगर याचिकाकर्ता नंबर दो और तीन में कोई विकलांगता है, जो प्रतिवादियों के अनुसार प्रकृति में स्थायी है तो उन पर विचार नहीं किया जा सकता। मेडिकल बोर्ड इस अभ्यास को दो महीने की अवधि के भीतर पूरा करेगा।"
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता बिनोद कुमार मिश्रा और अजय कुमार राय पेश हुए।
केस का शीर्षक - अवनीश कुमार और दो अन्य बनाम भारत संघ और चार अन्य
केस उद्धरण: 2022 लाइव लॉ (एबी) 102
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