आदेशों की सर्टिफाइट कॉपी प्राप्त करने के लिए फोलियो पर एडवोकेट बैंड, गैवेल और न्याय प्रतीक का उपयोग क्यों किया जा रहा है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल से पूछा

LiveLaw News Network

6 Aug 2022 8:17 AM GMT

  • आदेशों की सर्टिफाइट कॉपी प्राप्त करने के लिए फोलियो पर एडवोकेट बैंड, गैवेल और न्याय प्रतीक का उपयोग क्यों किया जा रहा है? इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी बार काउंसिल से पूछा

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सचिव, उत्तर प्रदेश बार काउंसिल, प्रयागराज को कारण बताने के लिए नोटिस जारी किया है कि एडवोकेट बैंड, गैवेल और न्याय के प्रतीक का उपयोग फोलियो (आवेदन) पर वकीलों द्वारा आदेश की प्रमाणित प्रति (Certified Copy) प्राप्त करने के लिए कैसे किया जा रहा है।

    जस्टिस सूर्य प्रकाश केसरवानी और जस्टिस जयंत बनर्जी की पीठ ने शबनम ज़हीर (अपीलकर्ता) द्वारा मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 की धारा 37 के तहत दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए इस प्रथा पर आपत्ति जताई।

    जब न्यायालय मामले के रिकॉर्ड का अध्ययन कर रहा था, प्रतिवादी नंबर 2 के लिए पेश हुए वकील प्रांजल मेहरोत्रा ने अदालत का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि जिला न्यायाधीश, गाजियाबाद द्वारा पारित आदेश की प्रमाणित प्रति को लागू करने के लिए फोलियो में एडवोकेट फोटो, बैंड, गवेल, न्याय का प्रतीक है।

    इसे ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने आगे कहा कि फोलियो में संजय के सिंह , एडवोकेट, नामांकन नंबर कर 3029/01, यूपी-4173/17, चैंबर नंबर 1115, सिविल कोर्ट, राज नगर, जिला का नाम है। गाजियाबाद का भी जिक्र है।

    नतीजतन कोर्ट ने उत्तर प्रदेश बार काउंसिल , प्रयाग को एक नोटिस जारी किया, जिसे एडवोकेट अमित सिंह ने स्वीकार कर लिया और इसके अलावा, पीठ ने उपरोक्त मुद्दे पर न्यायालय की सहायता करने के लिए एक सीनियर एडवोकेट और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के एक प्रतिष्ठित सदस्य अमरेंद्र नाथ सिंह से अनुरोध किया।

    अंत में कोर्ट ने निर्देश दिया कि सचिव, उत्तर प्रदेश बार काउंसिल, प्रयागराज को एक नोटिस जारी किया जाए ताकि यह पता लगाया जा सके कि फोलियो पर वकीलों द्वारा उक्त एडवोकेट बैंड, गैवेल और न्याय के प्रतीक का उपयोग किस प्रकार आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

    इसके साथ ही मामले को अब 16 अगस्त 2022 को सुबह 10:00 बजे उपयुक्त पीठ के समक्ष एक नए मामले के रूप में रखा गया है।

    केस टाइटल - शबनम ज़हीर बनाम भारत संघ और एक अन्य [मध्यस्थता और सुलह अधिनियम की धारा 37 के तहत अपील, 1996 नंबर44/2022]

    आदेश पढ़ने/डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें



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