22 मार्च तक ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस के गठन होने की संभावना
LiveLaw News Network
11 March 2020 5:53 PM IST
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार 22 मार्च तक ऑल इंडिया ज्यूडिशियल सर्विस के गठन होने की संभावना है।
केंद्रीय मंत्रिपरिषद को कानून मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत एक प्रस्ताव के अनुसार, सरकार मार्च 2022 तक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा (एआईजेएस) के गठन की तैयार कर रही है। कहा जा रहा है कि कानून मंत्रालय ने राज्य सरकारों, उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के साथ परामर्श प्रक्रिया को वर्ष के अंत तक पूरा करने का निर्णय लिया है, ताकि मार्च 2022 तक एआईजेएस से संबंधित मुद्दों का निपटारा किया जा सके।
वर्ष 1986 के विधि आयोग की रिपोर्ट संख्या -116 ने अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के गठन की सिफारिश की थी। इससे बहुत पहले, विधि आयोग ने वर्ष 1958 में प्रकाशित अपनी 14वीं रिपोर्ट में सिफारिश की थी, लेकिन इस मुद्दे पर राज्य और उच्च न्यायालय के विचार अलग अलग थे।
1976 में अनुच्छेद 312 में संशोधन के बाद यह प्रावधान किया गया कि यदि राज्यों की परिषद ने दो तिहाई सदस्यों द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा घोषित किया है और उपस्थित सदस्य मतदान करते हैं कि ऐसा करना राष्ट्रीय हित में आवश्यक या समीचीन है, तो संसद कानून द्वारा संघ और राज्यों के लिए एक या अधिक अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना कर सकते हैं।
वर्ष 1995 में, ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की स्थापना के लिए तत्काल उपाय करने का निर्देश दिया।
ऑल इंडिया जज एसोसिएशन द्वारा दायर अखिल भारतीय न्यायिक सेवा की व्यवहार्यता की जांच करने का निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका 2015 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
सिक्किम और हरियाणा के हाईकोर्ट और हरियाणा, मिजोरम, सिक्किम और त्रिपुरा की राज्य सरकारों ने AIJS के गठन का समर्थन किया। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, मेघालय, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश कथित रूप से इसके विरोध में हैं।
पांच राज्यों ने बदलाव का सुझाव दिया, जिसमें बिहार में बड़े संशोधन की मांग की और छत्तीसगढ़ ने अपनी मांग में कहा कि कि अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों के केवल 15% रिक्त स्थान एआईजेएस के माध्यम से भरे जाएं। मणिपुर, ओडिशा, उत्तराखंड ने भी बदलाव की मांग की है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, झारखंड और गोवा की सरकारों को प्रस्ताव का जवाब देना बाकी है।
आंध्र, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, केरल, MP, TN, मणिपुर, बिहार, पंजाब और हरियाणा और असम के HC इसके पक्ष में नहीं हैं। कलकत्ता HC ने कोई जवाब नहीं दिया, जबकि झारखंड और राजस्थान के HC अभी भी योजना की जांच कर रहे हैं।