कृषि कर्मचारियों को नहीं मान सकते फ्रंटलाइन वर्कर, उप्र सरकार ने हाईकोर्ट में कहा
LiveLaw News Network
11 Aug 2021 10:05 AM IST
उत्तर प्रदेश के कृषि कर्मचारियों को प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण हेतु फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा देने हेतु योजित जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि प्रदेश के कृषि कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर नहीं माना जा सकता।
दिल्ली विश्वविद्यालय के केंपस लॉ सेंटर के छात्र रजत ऐरन द्वारा इलाहाबाद हाईकोर्ट को ईमेल के माध्यम से भेजी गई लेटर पिटिशन के माध्यम से योजित इस याचिका की सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल मनीष गोयल ने राज्य सरकार द्वारा दाखिल शपथ पत्र के हवाले से हाईकोर्ट को बताया गया कि मार्च 2020 में जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशा निर्देशों एवं प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी शासनादेश के क्रम में कृषि कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर नहीं माना जा सकता, क्योंकि कृषि विभाग के कर्मचारियों द्वारा कोरोना के प्रसार आदि की रोकथाम अथवा उसके इलाज हेतु कोई कार्य नहीं किया जाता है।
मामले में स्वयं पक्ष रख रहे छात्र रजत ऐरन ने केंद्र सरकार की इस विषय पर नवीनतम गाइडलाइंस का हवाला देते हुए हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार द्वारा उल्लेखित केंद्र सरकार की मार्च 2020 की नीति अब अस्तित्व में नहीं है एवं आगामी फसल को देखते हुए कृषि कर्मचारियों का शीघ्रतम टीकाकरण अति आवश्यक है। याची ने यह भी सुझाया कि फील्ड में कार्यरत कृषि कर्मचारियों को उनके निकटतम क्षेत्रीय कार्यालय अथवा निकट के किसी भी सरकारी कार्यालय में विशेष शिविर लगाकर टीकाकरण किया जा सकता है।
दरअसल मई 2021 में मेरठ निवासी लॉ स्टूडेंट रजत ऐरन ने खंडपीठ को बताया कि गत वर्ष से लॉकडाउन के बावजूद कृषि विभाग के कर्मचारी किसानों के खेतों तक जाकर केंद्र एवं राज्य की कृषि योजनाओं का लाभ पहुंचा रहे हैं। पंचायत चुनाव के पश्चात गांव में पैर पसार रही महामारी का सामना करते हुए कृषि विभाग के कर्मचारी किसानो को उन्नत बीज, खाद, कीटाणु नाशक, खरपतवार नाशक , किसान क्रेडिट कार्ड आदि उपलब्ध करवा रहे हैं एवं कृषि की उन्नत तकनीकों से उनका परिचय भी करवा रहे हैं। जिस कारण प्रदेश अन्न का भंडार बना हुआ है एवं खाद्यान्न एवं दलहन की कोई कमी नहीं है।
इसके बावजूद प्रदेश सरकार ने कृषि कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा नहीं दिया है जिस कारण उन्हें टीकाकरण हेतु भटकना पड़ रहा है। प्रदेश में असंख्य कर्मचारियों की या तो मृत्यु हो गई है अथवा गंभीर संक्रमण से पीड़ित हैं।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमएन भंडारी एवं न्यायाधीश सुभाष चंद्र शर्मा की खंडपीठ ने केंद्र सरकार की नवीनतम गाइडलाइंस के आलोक में एडिशनल एडवोकेट जनरल को राज्य सरकार से 2 हफ्ते में निर्देश लेने का आदेश दिया है।