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भोपाल बार एसोसिएशन ने एमपी एडवोकेट्स असिस्टेंस स्कीम 2020 के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

LiveLaw News Network
23 May 2020 10:57 AM GMT
भोपाल बार एसोसिएशन ने एमपी एडवोकेट्स असिस्टेंस स्कीम 2020 के खिलाफ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया
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भोपाल के जिला बार एसोसिएशन ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में मध्य प्रदेश अधिवक्ता सहायता (प्राकृतिक आपदा और अप्रत्याशित परिस्थिति) योजना 2020 को चुनौती देने जा रहा है।

एमपी स्टेट बार काउंसिल द्वारा तैयार की गई इस योजना को कथित रूप से "अनुचित तरीके" से ड्राफ्ट करने का आरोप है क्योंकि यह योग्य जरूरतमंद अधिवक्ताओं की पहचान के लिए उचित नियमों, मानदंडों और दिशानिर्देशों को पूरा नहीं करती।

अधिवक्ता अंकित सक्सेना द्वारा दायर याचिका में आगे कहा गया है कि वास्तव में प्रभावित अधिवक्ताओं को योजना में वित्तीय सहायता का हकदार नहीं बनाया गया है और इसके बजाय मनमाने ढंग से बार एसोसिएशन के सदस्यों की कुल ताकत के केवल 5% अधिवक्ताओं को लाभ का हकदार बनाया गया है।

यह भी बताया गया है कि

"याचिकाकर्ता एसोसिएशन द्वारा बार काउंसिल को बार-बार अनुरोध, अभ्यावेदन, आपत्ति और सुझाव भेजने के बावजूद इस पर विचार नहीं किया गया है।"

राज्य बार काउंसिल द्वारा अधिसूचित योजना में निम्नलिखित "दोषों" को उठाया गया है।

1. योजना में लाभ के पात्रता के लिए पात्रता मानदंड का वर्णन नहीं है।

2. क्लॉज 4 का सब क्लॉज नंबर 6 संबंधित बार एसोसिएशन की जांच और संतुष्टि के बारे में कहता है लेकिन वह किस प्रकार की जांच और संतुष्टि होगी, यह नहीं बताया गया है।

3. आवेदन पत्र अनुबंध 1 में कोई खंड नहीं है ताकि उसकी स्थिति के बारे में सामग्री की जानकारी घोषित की जा सके या जरूरतमंद वकील के रूप में श्रेणी का प्रदर्शन किया जा सके।

4. किसी भी बार एसोसिएशन के पात्र सदस्यों की कुल संख्या उसके कुल सदस्यों का 5% है, जो तर्कहीन है और यह बार एसोसिएशन के सदस्यों और निर्वाचित पदाधिकारियों और कार्यकारी सदस्यों के बीच आंतरिक भिन्नता का बड़ा कारण होगा।

यह प्रस्तुत किया गया है कि याचिकाकर्ता-एसोसिएशन को 700 से अधिक आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं, तथापि किसी भी पात्रता मानदंड के अभाव में 5% उम्मीदवारों की लिस्टिंग करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।

"जिला बार एसोसिएशन, भोपाल पदाधिकारियों को पक्षपात के आरोपों सहित कई समस्याओं का सामना कर रहा है ..."

याचिका में कहा गया है कि जब तक नियम और मानदंड निर्धारित नहीं किए जाते, तब तक प्राप्त हुए 700 फॉर्म में से चयन लॉटरी सिस्टम या टॉस से होगा।

याचिका डाउनलोड करने के लिए यहां क्लिक करें




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