दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद, टेलीग्राम ने उल्लंघनकारी सामग्री शेयर करने के आरोपी यूजर्स के नाम, फोन नंबर और आईपी एड्रेस का खुलासा किया

Avanish Pathak

29 Nov 2022 12:41 PM GMT

  • दिल्ली हाईकोर्ट, दिल्ली

    दिल्ली हाईकोर्ट

    मैसेजिंग ऐप टेलीग्राम ने 30 अगस्त के एक फैसले का अनुपालन करते हुए उन चैनलों के एडमिन का नाम, फोन नंबर और आईपी एड्रेस का खुलासा किया है, जिन पर तैयार कैंपस प्राइवेट लिमिटेड और उसकी शिक्षिका नीतू सिंह द्वारा विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार स्टडी मैटेरियल को अनधिकृत तरीके से शेयर का आरोप है।

    30 अगस्त के फैसले में कहा गया था कि भारत में अदालतें एक मैसेजिंग ऐप को उल्लंघनकर्ताओं की जानकारी का खुलासा करने का निर्देश दे सकती हैं। जस्टिस प्रतिभा एम सिंह ने 24 नवंबर के आदेश में कहा कि टेलीग्राम ने अपने पास उपलब्ध कुछ चैनलों के एडमिन के नाम, फोन नंबर और आईपी एड्रेस दिए हैं।

    कोर्ट ने कहा,

    "उक्त डेटा की प्रतिलिपि को वादी के वकील को इस स्पष्ट निर्देश के साथ दी जाए कि न तो वादी और न ही उनके वकील उक्त डेटा का खुलासा वर्तमान कार्यवाही के उद्देश्यों को छोड़कर, किसी तीसरे पक्ष से करेंगे। इसके लिए, डेटा सरकारी अधिकारियों/पुलिस को दिया जा सकता है।"

    रिकॉर्ड पर मौजूद डेटा वाले चार्ट के साथ टेलीग्राम के हलफनामे को लेते हुए अदालत ने रजिस्ट्री को डेटा को सीलबंद कवर में रखने का निर्देश दिया।

    पृष्ठभूमि

    अदालत ने 30 अगस्त को टेलीग्राम के इस तर्क को खारिज कर दिया कि वह चैनलों के निर्माताओं या उपयोगकर्ताओं से संबंधित डेटा साझा नहीं कर सकता है, क्योंकि उक्त डेटा सिंगापुर में उसके डेटा सर्वर में संग्रहीत है और वहां का कानून इस तरह के खुलासे पर रोक लगाता है।

    अदालत ने नोट किया था कि हालांकि टेलीग्राम उन चैनलों को रोक रहा था, जो उल्लंघनकारी सामग्री का प्रसार कर रहे थे, लेकिन उपयोगकर्ता नए चैनल बना रहे थे और निजी मोड में काम कर रहे थे।

    कोर्ट ने कहा,

    "वादी के कार्यों को निषेधाज्ञा आदेश के बावजूद, इस प्रकार बिना किसी बाधा के प्रसारित किया गया है, और उल्लंघनकर्ता पूरी तरह से नकाबपोश पहचान के तहत काम कर रहे हैं। चैनलों को बार-बार ब्लॉक करना अपर्याप्त साबित हो रहा है।"

    यह देखते हुए कि कॉपीराइट का उल्लंघन निर्विवाद रूप से एक गंभीर मामला है क्योंकि इसमें कॉपीराइट के मालिकों के बहुमूल्य अधिकार शामिल हैं, जस्टिस सिंह ने फैसले में कहा कि भारत में दीवानी और फौजदारी दोनों अदालतों के पास हमेशा ऐसे औजारों के जरिए उल्लंघनकारी सामग्री के प्रसार को रोकने के लिए पर्याप्त रूप से अधिकार क्षेत्र रहा है, और केवल इसलिए कि मैसेजिंग सर्विस का सर्वर विदेश में है, उल्लंघनकर्ता उल्लंघन के परिणामों से बच नहीं सकता है।

    महत्व

    नीतू सिंह बनाम टेलीग्राम एफजेड एलएलसी के फैसलों को एक मिसाल के रूप में वादी व्यापक रूप से उद्धृत कर रहे हैं।

    हाईकोर्ट ने 23 नवंबर को टेलीग्राम को 2020 के उस आदेश का पालन करने का निर्देश दिया था, जिसमें यह निर्देश दिया गया था कि दैनिक जागरण के ई-पेपर को अनधिकृत रूप से अपने चैनलों में अपलोड और शेयर करने वाले यूजर्स की मूल जानकारी का खुलासा किया जाए।

    जस्टिस नवीन चावला ने आदेश में इस बात पर ध्यान दिया कि टेलीग्राम द्वारा उपयोगकर्ताओं की पहचान के प्रकटीकरण का मुद्दा अब पूर्ण नहीं है और इसे नीतू सिंह और अन्य बनाम टेलीग्राम एफजेड एलएलसी और अन्य में एक समन्वय पीठ द्वारा सुलझाया गया है।

    केस टाइटिल: नीतू सिंह बनाम टेलीग्राम एफजेड एलएलसी

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