दिल्ली हाईकोर्ट: वकील क्लाइंट के निर्देशों से बंधे हैं, मगर दावों की सच्चाई की जांच करना उनका काम नहीं
Amir Ahmad
21 Aug 2025 4:29 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा कि वकील अपने मुवक्किल (क्लाइंट) के निर्देशों के पालन के लिए बाध्य हैं लेकिन उन दावों की सच्चाई या झूठ की जांच करना उनकी ज़िम्मेदारी नहीं है। यह फैसला चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने सुनाया।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मुकदमे में किए गए दावे या दलीलें सही हैं या गलत, यह तय करना संबंधित अदालत का काम है न कि वकील का है।
यह टिप्पणी कोर्ट ने उस अपील को खारिज करते हुए दी, जो एक शिकायतकर्ता ने तीन वकीलों के खिलाफ दायर की थी। यह मामला चेक बाउंस विवाद से जुड़ा है। शिकायत में आरोप लगाया गया कि वकीलों ने तथ्यों की सही तरह से जांच नहीं की और बिना पुष्टि किए ही केस लड़ा।
गौरतलब है कि बार काउंसिल ऑफ दिल्ली (BCD) ने शिकायत यह कहते हुए खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता वकीलों और अपने बीच किसी पेशेवर संबंध को साबित नहीं कर पाया। साथ ही यह भी कहा गया कि तथ्य सही हैं या गलत इसका फैसला अदालत को करना है।
बाद में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी इस आदेश को बरकरार रखा और कहा कि वकील का काम अपने क्लाइंट के निर्देशों पर काम करना है न कि क्लाइंट के दावों की जांच-पड़ताल करना।
हाईकोर्ट ने सिंगल जज के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि वकीलों के खिलाफ किसी भी पेशेवर दुर्व्यवहार का मामला नहीं बनता।
कोर्ट ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता की मांग को मान लिया जाता तो इससे वकील और क्लाइंट के बीच भरोसेमंद संबंध पर ही असर पड़ता।
केस टाइटल: चंद मेहरा बनाम भारत संघ एवं अन्य

