मीडिया में 'दुर्भावनापूर्ण' बयानों के लिए बार काउंसिल द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के बाद वकील गुणरतन सदावर्ते ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

Shahadat

4 March 2023 5:37 AM GMT

  • मीडिया में दुर्भावनापूर्ण बयानों के लिए बार काउंसिल द्वारा अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू करने के बाद वकील गुणरतन सदावर्ते ने बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया

    पिछले साल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) नेता शरद पवार के घर के बाहर हमले की साजिश रचने के आरोपी एडवोकेट गुणरतन सदावर्ते ने स्टेट बार काउंसिल द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई अनुशासनात्मक कार्यवाही के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    कथित दुष्कर्मों की सूची में मराठा आरक्षण और महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों की हड़ताल की सुनवाई के दौरान मीडिया को दिए गए "दुर्भावनापूर्ण" और "अप्रिय" बयान शामिल हैं। साथ ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में बैंड के साथ काला कोट पहनकर नियमों का उल्लंघन किया गया।

    हालांकि, सदावर्ते ने एडवोकेट एक्ट, 1961 की धारा 35 के तहत कार्यवाही को रद्द करने की प्रार्थना करते हुए एफआईआर में पुलिस की 'सी' सारांश रिपोर्ट और पहले की शिकायत को खारिज करने का हवाला दिया।

    जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की खंडपीठ ने सदावर्ते द्वारा शुक्रवार को उल्लेख किए जाने के बाद मामले को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की।

    7 फरवरी, 2023 को महाराष्ट्र और गोवा की बार काउंसिल ने सदावर्ते को उनके खिलाफ शिकायतों की जांच के लिए अनुशासनात्मक कार्यवाही के बारे में सूचित करते हुए नोटिस जारी किया और उन्हें 24 फरवरी, 2023 को सुनवाई के लिए उपस्थित रहने का निर्देश दिया।

    अध्यक्ष गजानन चव्हाण, एडवोकेट कैसर अंसारी और संग्राम देसाई की अनुशासनात्मक समिति पिंपरी कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट सुशील मांचेकर और आरटीआई एक्टिविस्ट नितिन यादव द्वारा दायर दो शिकायतों की जांच कर रही है।

    आरोप इस प्रकार हैं,

    1. 9 अक्टूबर, 2020 को चैनल न्यूज़ 18 पर बहस के दौरान उन्होंने शिवाजी महाराज के वंशजों- सांसद उदयनराजे भोसले और सांसद संबलाजी राजे छत्रपति के खिलाफ अपमानजनक बयान दिया। टिप्पणियां दुर्भावनापूर्ण और गैर-जिम्मेदार थीं।

    2. अक्टूबर-अप्रैल 2021 से एमएसआरटीसी की हड़तालों के दौरान "अप्रिय" बयान दिए गए। सदावर्ते ने जानबूझकर प्रदर्शनकारियों को बिना किसी उचित परिश्रम के गुमराह किया, जिसके कारण कई प्रदर्शनकारियों ने आत्महत्या कर ली।

    3. नाबालिग बेटी का कार चलाते हुए सोशल मीडिया वीडियो बनाया गया।

    4. सार्वजनिक जगहों पर बैंड-बाजे बजाए गए।

    सदावर्ते ने तर्क दिया कि मराठा कार्यकर्ताओं द्वारा इसी तरह की शिकायत को पहले खारिज कर दिया गया, इसलिए वर्तमान जांच में दोहरा जोखिम होगा।

    याचिकाकर्ता के अनुसार,

    "राजनीतिक आकाओं को खुश" करने के लिए शिकायतें दर्ज की गईं, क्योंकि याचिकाकर्ता ने मराठा आरक्षण को चुनौती दी है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

    इसके अलावा, सुनवाई के लिए न तो अनुशासन समिति का पूरा कोरम मौजूद था और न ही नियम 7.33 के अनुसार सुनवाई बंद हुई।

    इसलिए सदावर्ते ने नोटिस को रद्द करने और उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही की मांग की है।

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