जज भी कर सकते हैं गलती, स्वीकार करने में नहीं होनी चाहिए झिझक: कश्मीर कोर्ट ने मजिस्ट्रेट के खिलाफ की गई टिप्पणियां हटाईं
Amir Ahmad
1 Aug 2025 6:31 PM IST

अनंतनाग के प्रिंसिपल सेशन जज ने यह स्वीकार करते हुए पूर्व आदेश में न्यायिक मजिस्ट्रेट के खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटा दिया कि उक्त टिप्पणियां एक तथ्यात्मक गलती के आधार पर की गई थीं और वे वास्तव में गलत अधिकारी को संबोधित थीं।
मामले में पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करते समय अदालत ने टिप्पणी की थी कि वर्ष 2024 बैच के मजिस्ट्रेट जिन्हें न्यायिक अकादमी से पूर्ण प्रशिक्षण प्राप्त है, कैसे सुप्रीम कोर्ट के एक अहम निर्देश को नजरअंदाज कर सकते हैं। लेकिन बाद में अदालत को अवगत कराया गया कि ऐशमुकाम कोर्ट में वर्तमान में कार्यरत अधिकारी उस विवादित आदेश के लेखक नहीं हैं, बल्कि वह आदेश उनके पूर्ववर्ती और सीनियर अधिकारी द्वारा पारित किया गया था।
प्रिंसिपल सेशन जज ताहिर खुर्शीद रैना ने जब इस स्थिति को समझा तो तुरंत सुधारात्मक कदम उठाया।
आदेश में उल्लेख किया गया,
"इस न्यायालय के समक्ष व्यक्त की गई चिंता को गंभीरता से लिया गया और रिकॉर्ड मंगवाकर देखा गया। यह स्पष्ट हुआ कि की गई टिप्पणी पूरी तरह गलत अधिकारी के संबंध में थी, क्योंकि वह उस आदेश के लेखक ही नहीं थे।"
अदालत ने गलती स्वीकार करते हुए कहा,
"यह न्यायालय अपनी अनजाने में हुई भूल को स्वीकार करता है। यहाँ इस न्यायालय को लैटिन सिद्धांत 'Actus curiae Neminem Gravabit' की याद आती है, जिसका अर्थ है कि अदालत का कोई भी कार्य किसी के लिए हानिप्रद नहीं होना चाहिए।"
कोर्ट ने यह भी माना कि पहले की गई टिप्पणियाँ एक युवा अधिकारी की प्रतिष्ठा पर असर डाल सकती हैं। साथ ही कहा कि उचितता की मांग है कि रिकॉर्ड को ठीक किया जाए ताकि वर्तमान अधिकारी के संदर्भ में की गई अनुपयुक्त टिप्पणियाँ आगे तक उनका पीछा न करें।
इसलिए न्यायालय ने पहले की गई टिप्पणियों को हटाते हुए यह भी निर्देश दिया कि आदेश की प्रति विशेष दूत के माध्यम से संबंधित मजिस्ट्रेट को सौंपी जाए ताकि इसे उनके न्यायालय के आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज किया जा सके।
अंत में न्यायालय ने एक गरिमापूर्ण संदेश में उस युवा अधिकारी को शुभकामनाएँ देते हुए कहा,
"यह न्यायालय संबंधित न्यायिक अधिकारी के जीवन और करियर में सफलता की कामना करता है।"
टाइटल : जलील अहमद मागरे बनाम मस्त. शमशादा व अन्य 2025

