दो वयस्कों को अपने पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो: इलाहाबाद हाईकोर्ट
LiveLaw News Network
17 Sept 2021 12:38 PM IST
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह विवादित नहीं हो सकता है कि दो वयस्कों को अपने पसंद का जीवन साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो।
न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने एक शिफा हसन (19 वर्षीय) और उसके पुरुष साथी (24 वर्षीय) द्वारा दायर एक याचिका में इस प्रकार देखा, जिन्होंने एक दूसरे के साथ प्यार करने का दावा किया और प्रस्तुत किया कि वे अपनी खुद की इच्छा से एक साथ रह रहे हैं।
उन्होंने तर्क दिया कि चूंकि वे अलग-अलग धर्मों के हैं और लड़की के पिता को स्वीकार्य नहीं है, इसलिए उन्होंने अपने जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा की मांग करते हुए वर्तमान याचिका दायर की है।
लड़की ने 17 फरवरी, 2021 को पहले ही मुस्लिम से हिंदू धर्म परिवर्तन के लिए एक आवेदन दायर कर दिया है और उक्त आवेदन पर जिलाधिकारी ने संबंधित थाने से रिपोर्ट मांगी है जिसके अनुसार दोनों बालिग भी हैं।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह सामने आया कि लड़के का पिता शादी के लिए राजी नहीं है, जबकि उसकी मां इसके लिए तैयार है। आगे यह भी कहा गया कि लड़की के माता-पिता दोनों भी उनकी शादी के लिए राजी नहीं हैं।
कोर्ट ने इस पृष्ठभूमि में, तीसरे प्रतिवादी को निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया। कहा यह सुनिश्चित किया जाए कि याचिकाकर्ताओं को प्रतिवादी संख्या 5 (लड़की के पिता) या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी तरह का उत्पीड़न नहीं किया जाएगा।
कोर्ट ने कहा,
"यह विवादित नहीं हो सकता है कि दो वयस्कों को अपनी पसंद का वैवाहिक साथी चुनने का अधिकार है, भले ही उनका धर्म कुछ भी हो। जैसा कि वर्तमान याचिका दो व्यक्तियों द्वारा एक संयुक्त याचिका है जो एक दूसरे के साथ प्यार में होने का दावा करते हैं और इसलिए हमारे विचार में कोई भी, यहां तक कि उनके माता-पिता भी उनके रिश्ते पर आपत्ति नहीं जता सकते हैं।"
केस का शीर्षक - शिफा हसन एंड अन्य बनाम यू.पी. राज्य एंड अन्य