पुलिस पर हमला करने का आरोप : पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर लखनऊ कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत दी

LiveLaw News Network

11 Sep 2021 3:43 PM GMT

  • पुलिस पर हमला करने का आरोप : पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी एक्टिविस्ट नूतन ठाकुर लखनऊ कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत दी

    सामाजिक कार्यकर्ता-अधिवक्ता, पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर की पत्नी नूतन ठाकुर को लखनऊ की एक अदालत ने शुक्रवार को उनके खिलाफ कथित तौर पर पुलिस पर हमला करने और सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में अग्रिम जमानत दी।

    नूतन ठाकुर पर आरोप है कि जब पुलिसकर्मी उनके पति पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को एक बलात्कार पीड़िता और उसके मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार करने गए थे, तब नूतन ने पुलिस पर हमला किया और शासकीय कार्य में बाधा डाली।

    नूतन पर 27 अगस्त, 2021 को दर्ज प्राथमिकी में धारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 186,189, 224, 225, 323,353 और धारा 427 के तहत मामला दर्ज किया गया है और यह आरोप लगाया गया है कि जब पुलिस टीम आवेदक के आवास पर उसके पति को गिरफ्तार करने / पकड़ने के लिए आई थी, तब वे दोनों आक्रामक हो गए और गिरफ्तारी का विरोध करने की कोशिश की।

    यह भी आरोप लगाया गया है कि इस दौरान, उन्होंने पुलिस को घायल कर दिया और मुखबिर की नेमप्लेट और व्हिसल कॉर्ड को भी नुकसान पहुंचाया और एसएचओ के चश्मे को क्षतिग्रस्त कर दिया।

    दूसरी ओर अपने अग्रिम जमानत आवेदन में नूतन ठाकुर ने अपने वकील यशब हुसैन रिज़वी के माध्यम से प्रस्तुत किया है कि विचाराधीन प्राथमिकी गोपनीय तरीके से दर्ज की गई और इसका उद्देश्य उन्हें, साथ ही साथ उनके पति को भी झूठा फंसाना है।

    आवेदन में आगे कहा गया है कि उन्हें राज्य के उच्च पदस्थ अधिकारियों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से उनके कार्यों के लिए निशाना बनाया जा रहा है, जिनकी अनुचितता बड़े पैमाने पर जनहित को प्रभावित कर रही है।

    न्यायालय के समक्ष यह तर्क दिया गया कि पुलिस दल जबरन उनके घर में घुस गया और उनके पति अमिताभ ठाकुर को घसीटते हुए उनके घर से बाहर निकाल दिया और उन्हें लगातार गालियां देते हुए मारपीट की।

    यह भी प्रस्तुत किया गया कि वे उनकी गिरफ्तारी का कारण पूछते रहे और प्राथमिकी की एक प्रति मांगी, लेकिन उसे अस्वीकार कर दिया गया और पुलिस ठाकुर को जबरन पुलिस की एसयूवी में डालकर ले गई।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पीएम त्रिपाठी ने तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और यह देखते हुए कि श्रीमती ठाकुर के फरार होने की आशंका नहीं है और उन्होंने जांच में सहयोग करने का आश्वासन दिया है, उन्हें अग्रिम जमानत दी।

    मामले की पृष्ठभूमि

    पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर को एक महिला और उसके मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद लखनऊ की एक अदालत ने उन्हें 9 सितंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

    24 वर्षीय महिला, जिसका 2019 में बहुजन समाज पार्टी के सांसद अतुल राय द्वारा कथित रूप से बलात्कार किया गया था, उसने 24 अगस्त को दम तोड़ दिया। उसके 27 वर्षीय मित्र की पिछले सप्ताह इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी।

    महिला ने आरोप लगाया था कि ठाकुर ने सांसद राय के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए या इसे कमजोर करने की धमकी देने में आरोपी की मदद की थी। इस घटना के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने महिला द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच पैनल का गठन किया था।

    इस पैनल का नेतृत्व डीजीपी (पुलिस भर्ती और प्रोन्नति बोर्ड) राज कुमार विश्वकर्मा ने किया था और इसमें अतिरिक्त डी-जी (महिला पावर लाइन) नीरा रावत शामिल थीं।

    मामले की जांच करते हुए पैनल ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी और उसी के आधार पर, लखनऊ पुलिस ने ठाकुर और राय के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और बाद में ठाकुर को महिला को आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया। राय पहले से ही प्रयागराज के नैनी जेल में बंद हैं।

    ठाकुर के खिलाफ प्राथमिकी में आईपीसी की धारा 167, धारा 195-ए (झूठे सबूत के लिए किसी व्यक्ति को धमकी देना), 218 (गलत रिकॉर्ड बनाना, आदि), आईपीसी की धारा 504, धारा 506 और आईपीसी 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप शामिल हैं।

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