आवेदक को धमकी की अनुपस्थिति आर्म्स एक्ट के तहत फायर आर्म्स लाइसेंस से इनकार करने का आधार नहीं: गुजरात हाईकोर्ट

Brij Nandan

1 July 2022 4:13 AM GMT

  • आवेदक को धमकी की अनुपस्थिति आर्म्स एक्ट के तहत फायर आर्म्स लाइसेंस से इनकार करने का आधार नहीं: गुजरात हाईकोर्ट

    गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) ने हाल ही में कहा कि आर्म्स एक्ट (Arms Act) के तहत फायर आर्म्स लाइसेंस से इनकार करने के कारणों में एक संबंध होना चाहिए और अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में होना चाहिए और अप्रासंगिक विचारों पर लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता है।

    जस्टिस एएस सुपेहिया की खंडपीठ ने आगे कहा कि प्राधिकरण केवल इसलिए आवेदक का लाइसेंस रद्द नहीं कर सकता क्योंकि उसे कोई धमकी नहीं मिली या उस पर हमले की कोई घटना नहीं हुई।

    आगे कहा,

    "यहां ऊपर बताए गए दो आधारों पर लाइसेंस देने से इनकार करना पूरी तरह से अवैध है और अधिनियम की धारा 17 (3) के प्रावधानों का उल्लंघन है।"

    याचिकाकर्ता के पास एक बन्दूक का लाइसेंस था और उसने आर्म्स एक्ट के संदर्भ में इसके रिनिवल की मांग की थी। हालांकि, इसे अस्वीकार कर दिया गया और कहा गया कि उसका लाइसेंस रद्द कर दिया गया है क्योंकि टेलीफोन की उपलब्धता है और जब भी आवश्यक हो, वह पुलिस सुरक्षा के लिए कॉल कर सकता है।

    याचिकाकर्ता ने अधिनियम की धारा 13 (लाइसेंस प्रदान करना) और 14 (लाइसेंस से इनकार) का उल्लेख किया और प्राधिकरण द्वारा उद्धृत आधारों को प्रस्तुत किया जिसका अधिनियम में कोई उल्लेख नहीं है।

    इसके विपरीत, एजीपी ने प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता के पास गृह विभाग के सचिव के समक्ष अपील करके आक्षेपित आदेश को चुनौती देने का एक वैकल्पिक उपाय है।

    बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ता के पास 1997 में लाइसेंस रखने वाला कोई विवादित तथ्य नहीं था। अधिनियम की धारा 17(3) को देखने के बाद पीठ ने कहा कि प्राधिकरण ने धारा 17(3) की शर्तों के अनुसार इस मुद्दे की जांच करने के लिए 'दूर से भी उचित नहीं समझा'।

    कोर्ट ने कहा,

    "लाइसेंस से इनकार करने के कारणों में एक संबंध होना चाहिए और अधिनियम के प्रावधानों के संदर्भ में होना चाहिए और लाइसेंस को अप्रासंगिक विचार पर रद्द नहीं किया जा सकता है। इसलिए, प्रतिवादी प्राधिकारी द्वारा पारित 29.09.2021 का आक्षेपित आदेश रद्द किया जाता है क्योंकि इसे अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार पूर्ण अप्रासंगिक आधार पर पारित किया गया है।"

    नतीजतन, मामले को कानून के अनुसार पुनर्विचार के लिए वापस भेज दिया गया है।

    केस टाइटल: खांजी मोहम्मद सैय्यद गुलामरासूल बनाम अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट

    केस नंबर: सी/एससीए/352/2022

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