आप सांसद राघव चड्ढा ने सरकारी बंगले से बेदखली वाले आदेश के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया
Sharafat
10 Oct 2023 12:14 PM IST
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने मंगलवार को ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख किया, जिस आदेश में राज्यसभा सचिवालय को उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने की मंजूरी दे दी और रास्ता साफ कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस संजीव नरूला की खंडपीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया गया, जिसने इसे कल सूचीबद्ध करने की अनुमति दे दी।
चड्ढा की ओर से पेश वकील ने अदालत को यह भी बताया कि राघव को विवादित आदेश के अनुपालन में बेदखली नोटिस जारी किया गया है।
पिछले हफ्ते पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश सुधांशु कौशिक ने 18 अप्रैल को पारित एक अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्यसभा सचिवालय को कानून की उचित प्रक्रिया के बिना चड्ढा को सरकारी बंगले से बेदखल नहीं करने का निर्देश दिया गया था।
ट्रायल कोर्ट ने कहा कि आवंटन रद्द होने और उन्हें दिया गया विशेषाधिकार वापस लेने के बाद चड्ढा को सरकारी बंगले पर बने रहने का कोई निहित अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा था,
“ वादी (राघव चड्ढा) यह दावा नहीं कर सकते कि उन्हें राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान आवास पर कब्जा जारी रखने का पूर्ण अधिकार है। सरकारी आवास का आवंटन केवल वादी को दिया गया विशेषाधिकार है और आवंटन रद्द होने के बाद भी उन्हें उस पर कब्जा जारी रखने का कोई निहित अधिकार नहीं है।”
निचली अदालत के न्यायाधीश राज्यसभा सचिवालय द्वारा दायर एक पुनर्विचार आवेदन पर सुनवाई कर रहे थे, जिसमें अंतरिम आदेश को वापस लेने की मांग की गई थी। यह घटनाक्रम सचिवालय के खिलाफ चड्ढा द्वारा दायर एक मुकदमे के बाद हुआ, जिसमें उन्होंने 3 मार्च को जारी एक पत्र को चुनौती दी थी, जिसमें उन्हें आवंटित आवास को रद्द कर दिया गया था।
अंतरिम आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए सचिवालय ने तर्क दिया था कि अदालत ने सीपीसी की धारा 80 (2) के तहत विचार की गई प्रक्रिया का पालन किए बिना चड्ढा को अंतरिम राहत दी थी। दलील दी गई कि प्रावधान के तहत छुट्टी देने से पहले दोनों पक्षों को सुनना जरूरी है।
अंतरिम आदेश को रद्द करते हुए अदालत ने चड्ढा की इस दलील को खारिज कर दिया था कि एक बार सांसद को दिया गया आवास सांसद के पूरे कार्यकाल के दौरान किसी भी परिस्थिति में रद्द नहीं किया जा सकता।