''ऐसे लोगों को कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए'': कलकत्ता हाईकोर्ट ने ध्वस्त किए गए निर्माणों का पुनर्निर्माण करने वालों को फटकार लगाई
LiveLaw News Network
29 Jun 2021 8:00 PM IST
कलकत्ता हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए आदेशों का उल्लंघन करके फिर से अवैध निर्माण करने वाले व्यक्तियों की कड़ी फटकार लगाई।
संबंधित मामले में, कोलकाता नगर निगम ने अदालत के एक आदेश के अनुसार एक इमारत में कुछ अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया था। जिसके बाद अदालत की अनुमति लिए बिना ही प्रतिवादियों ने ध्वस्त हिस्से का पुनर्निर्माण कर लिया। इसके अलावा, प्रतिवादियों द्वारा कुछ अतिरिक्त अवैध निर्माण भी किए गए थे।
कोलकाता नगर निगम के भवन महानिदेशक,कार्यकारी अभियंता और उप मुख्य अभियंता की तरफ से दायर रिपोर्टों के अवलोकन के बाद न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि,
''ऐसा प्रतीत होता है कि निजी प्रतिवादियों ने ध्वस्त हिस्से का पुनर्निर्माण करके और अवैध कार्य को कवर करने के लिए एक और शेड लगाकर ओवरस्मार्ट तरीके से काम किया है। निजी प्रतिवादियों के मन में देश के संवैधानिक न्यायालय के लिए बहुत कम सम्मान है क्योंकि न्यायालय ने 3 अगस्त, 2018 को उनकी उपस्थिति में एक आदेश पारित किया था।''
कोर्ट ने आगे कहा कि ऐसे व्यक्तियों को एक कड़ा संदेश दिया जाना चाहिए जो अदालत के आदेशों की घोर अवहेलना करते हैं और उन अधिकारियों का भी कम सम्मान करते हैं जिन्होंने निर्माणों को ध्वस्त कर दिया था।
तदनुसार, न्यायालय ने नगर आयुक्त को भवन योजना को वापस लेने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना इसे प्रतिवादियों को फिर से जारी न किया जाए। इसके अलावा, प्रतिवादियों को संबंधित इमारत में किसी भी प्रकार के निर्माण को करने से स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया गया है। साथ ही निजी प्रतिवादियों पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगा दिया गया है। कोर्ट ने कहा है कि आदेश की तारीख से दो सप्ताह की अवधि के भीतर लगाए गए जुर्माने का भुगतान हाईकोर्ट कानूनी सेवा प्राधिकरण को किया जाए।
अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए रजिस्ट्रार जनरल को निर्देश दिया है कि वह प्रतिवादियों द्वारा जुर्माने का भुगतान करने के संबंध में एक रिपोर्ट दायर करे। कोर्ट ने कहा है कि अगर लगाए गए दंड का भुगतान नहीं किया जाता है तो जुर्माने की राशि वसूलने के लिए प्रतिवादियों के खिलाफ एक उचित आदेश भी पारित किया जा सकता है।
केस का शीर्षक-श्रीमती रानू पाल व अन्य बनाम कोलकाता नगर निगम व अन्य
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