हाईकोर्ट ने 2018 ट्वीट केस में जब्त किए गए डिवाइज को वापस करने की मांग वाली मोहम्मद जुबैर की याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा
Brij Nandan
27 July 2022 3:47 PM IST
दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को ऑल्ट न्यूज़ (Alt news) के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर (Mohammed Zubair) द्वारा 2018 के ट्वीट मामले के संबंध में दायर याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा, जिसमें दिल्ली पुलिस द्वारा जब्त किए गए किसी भी उपकरण या दस्तावेज़ को वापस करने की मांग की गई है।
जस्टिस पुरुषेंद्र कुमार कौरव ने याचिका पर जवाब देने के लिए दिल्ली पुलिस को चार सप्ताह का समय दिया और जुबैर को जवाब में जवाब और अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की स्वतंत्रता भी दी।
जुबैर को जून में दिल्ली पुलिस ने 2018 में किए गए एक ट्वीट पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने और दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई अपनी चार दिन की पुलिस हिरासत को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था।
जुबैर को बाद में पटियाला हाउस कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश देवेंद्र कुमार जांगला ने 15 जुलाई को इस मामले में जमानत दे दी थी।
आज जुबैर की ओर से पेश एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने पुलिस द्वारा लैपटॉप या दस्तावेज जब्त करने के खिलाफ वैकल्पिक प्रार्थना की।
उक्त पहलू पर जवाब दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस के अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने मामले को 15 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा विभिन्न जिलों में उनके ट्वीट पर दर्ज सभी 6 एफआईआर में ज़ुबैर को जमानत दे दी और उन मामलों को दिल्ली एफआईआर के साथ जोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि आपराधिक न्याय प्रणाली फैक्ट चेक करने वाले पत्रकार के खिलाफ "लगातार कार्यरत" है और वह "आपराधिक प्रक्रिया के दुष्चक्र" में फंस गया है।
जुबैर को भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना, आदि) और आईपीसी के धारा 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना) के तहत गिरफ्तार किया गया था।
बाद में आईपीसी की धारा 295A के साथ धारा 201 और 120बी और विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 लागू की गई थी।
दिल्ली पुलिस के अनुसार, एक ट्विटर हैंडल से एक शिकायत प्राप्त होने के बाद मामला दर्ज किया गया है, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि जुबैर ने "एक विशेष धर्म के भगवान का जानबूझकर अपमान करने के उद्देश्य से एक संदिग्ध तस्वीर" ट्वीट की थी।
एफआईआर के अनुसार, हिंदू भगवान हनुमान के नाम पर 'हनीमून होटल' का नाम बदलने पर 2018 से जुबैर का ट्वीट उनके धर्म का अपमान है।
एफआईआ में आरोप लगाया गया है कि जुबैर द्वारा एक विशेष धार्मिक समुदाय के खिलाफ इस्तेमाल किए गए शब्द और तस्वीर अत्यधिक उत्तेजक और लोगों में नफरत की भावना को भड़काने के लिए पर्याप्त से अधिक है जो समाज में सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए हानिकारक हो सकता है।
दिल्ली पुलिस की FIR के बाद, जुबैर को अन्य ट्वीट्स पर उनके खिलाफ दर्ज 6 FIR के संबंध में यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को एक मामले (सीतापुर पुलिस प्राथमिकी) में अंतरिम जमानत दे दी है। जिसमें हिंदू संत यति नरसिंहानंद, बजरंग मुनि और आनंद स्वरूप को "हेट मोंगर्स (घृणा फैलाने वाले)" कहने पर एफआईआर दर्ज की गई है।
केस टाइटल: मोहम्मद जुबैर बनाम राज्य