2017 हरियाणा न्यायिक पेपर लीक मामला: दिल्ली कोर्ट ने पूर्व हाईकोर्ट रजिस्ट्रार, दो अन्य को दोषी ठहराया

Amir Ahmad

24 Aug 2024 11:48 AM IST

  • 2017 हरियाणा न्यायिक पेपर लीक मामला: दिल्ली कोर्ट ने पूर्व हाईकोर्ट रजिस्ट्रार, दो अन्य को दोषी ठहराया

    हरियाणा सिविल सेवा (न्यायिक शाखा) प्रारंभिक परीक्षा 2017 के पेपर लीक से संबंधित मामले में दिल्ली की अदालत ने पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (भर्ती) डॉ. बलविंदर कुमार शर्मा और दो महिलाओं को दोषी ठहराया।

    राउज़ एवेन्यू कोर्ट की प्रधान जिला एवं सेशन जज अंजू बजाज चांदना ने माना कि अभियोजन पक्ष शर्मा और अन्य आरोपी व्यक्तियों- सुनीता और सुशीला के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य के माध्यम से अपना मामला साबित करने में सक्षम है।

    अदालत ने शर्मा और सुनीता को 5 साल की जेल की सजा सुनाई। 1,50,000 रुपये का जुर्माना और 1,50,000 रुपये का जुर्माना। शर्मा और सुनीता पर क्रमश: 60,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। सुशीला को मुकदमे के दौरान पहले से ही बिताई गई अवधि पर रिहा कर दिया गया। उस पर 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।

    हालांकि अदालत ने आरोपी व्यक्तियों- आयुषी, सुनील कुमार चोपड़ा उर्फ ​​टीटू, कुलदीप सिंह, सुभाष चंद्र गोदारा, सुशील भादू और तजिंदर बिश्नोई को बरी कर दिया।

    यह देखते हुए कि पेपर लीक के दूरगामी परिणाम होते हैं, जिससे उम्मीदवारों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, न्यायाधीश ने कहा कि पेपर लीक के मुद्दे को विशिष्ट कड़े कानूनों के प्रभावी कार्यान्वयन के माध्यम से निपटाया जाना चाहिए।

    अदालत ने कहा,

    “सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम 2024 की अधिसूचना, इस दिशा में स्वागत योग्य कदम है, लेकिन दीर्घकालिक सुधारों को शुरू करके इस तरह के कदाचार के खिलाफ निवारक उपाय किए जाने चाहिए। उद्देश्य और लक्ष्य सार्वजनिक परीक्षाओं में अधिक पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता लाना होना चाहिए।”

    इसमें कहा गया कि यह मामला प्रसिद्ध कहावत सफलता के लिए कोई शॉर्टकट नहीं है, उसको दर्शाता है। न्यायाधीश ने कहा कि यह मामला इस बात का उत्कृष्ट उदाहरण है कि शॉर्टकट आमतौर पर निराशा की ओर ले जाता है। पिछले साल दिसंबर में शर्मा के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बरकरार रखा गया था जिसमें कहा गया था कि रिकॉर्ड के अनुसार कथित लीक से ठीक पहले शर्मा के पास प्रश्नपत्र था।

    31 जनवरी, 2020 को पारित आदेश बरकरार रखा गया, जिसके तहत चंडीगढ़ की एक सेशन कोर्ट द्वारा शर्मा के खिलाफ आरोप तय किए गए। 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने शर्मा की याचिका स्वीकार की गई और मुकदमे को राष्ट्रीय राजधानी में स्थानांतरित कर दिया। पेपर लीक के तुरंत बाद पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने शर्मा को निलंबित कर दिया और रोपड़ ट्रांसफर कर दिया। बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 8, 9, 13(1)(डी) के तहत आरोप पत्र दायर किया गया और धारा 409, 420, 120बी और 201 भारतीय दंड संहिता, 1860 के तहत आरोप पत्र दायर किया गया।

    Next Story